धर्मनिरपेक्ष भारत में ही ऐसा होना संभव है …

ये 2014 की बात है । भागलपुर बिहार की एक सामाजिक कार्यकर्त्री महिला शबाना दाऊद जी छठ पूजा में शामिल होती हैं | वापस आकर फेसबुक पर छठ पर्व की तारीफ में पोस्ट करती हैं कुछ एक फोटो भी अपलोड करती हैं | जानते हैं इस “घोर पाप” के एवज में उनके साथ क्या हुआ ? उन्हें पूरी रात फ़ोन कर कर के अपशब्द कहे गये, उन्हें डराया, धमकाया गया | उनसे कहा गया आप इस्लाम को शर्मिदा कर रही हैं |

फलस्वरूप उन्हें अपनी पोस्ट यह कहकर डिलीट करनी पड़ी कि “किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरा मकसद नहीं | हमारा मकसद आपसी सद्भावना में मिठास पैदा करना है | और मैं ये यकीन से कह सकती हूँ कि ये लहर अब दिखने लगी है | मैं मुसलमान हूँ अपनी हद जानती हूँ | मैं देश के मुसलमानों को कभी शर्मिंदा नहीं होने दूंगी | पोस्ट अगर गलत है तो मैं हटा देती हूँ पर प्लीज़ धमकी भरे फ़ोन मत कीजिये ” |

भोपाल में पेटा की एक मुस्लिम महिला कार्यकता शाकाहारी ईद का प्रचार कर रही थी । मजहबी मतान्ध लोगों ने उसके साथ बदसलूकी की मार पिटाई की । बेचारी को वहां से सुरक्षित ले जाना पड़ा ।

2011 में मिस्र के तहरीर स्कवायर पर साउथ अफ्रीका की रिपोर्टर लारा लोगन रिपोर्टिंग कर रहीं थीं । अचानक उन्हें चारो तरफ से घेर लिया गया । जिहादियों ने लारा लोगन के शरीर से कपड़े की एक एक कतरन उतार दी । बकौल लारा उनके ब्रेस्ट वेजिना पर सैकड़ो हाथ थे । उन्हें किसी तरह बचाया जा सका ।

अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की खरीद फरोख्त आज भी होती है । हाल ही में 100 100 डॉलर में महिलाएं बेची खरीदी जा रही हैं । वहां यजीदी महिलाओं के साथ अत्याचारों की सारी सीमायें लांघ दी गईं ।

इसके बरख्श कर्नाटक की घटना पर नजर डालिए । सैकड़ो सो कॉल्ड कट्टर हिंदुओं के बीच मजहबी नारे लगाने वाली लड़की न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि आगे भी उसे कोई खतरा नहीं है । वो ऐसा करने का साहस कर सकी क्योंकि उसे पता था उसके साथ कुछ गलत नहीं होगा क्योंकि सनातन में “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते” सिखाया जाता है ।

अब तय कीजिये कि बहादुर कौन है ???
शबाना दाऊद ? लारा लोगन ? अफगानिस्तान की वो महिलाएं जो तालिबान से लड़ रहीं हैं ? वो लड़के जिनके संस्कार सनातनी थे या मजहबी नारे लगाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वाली वो लड़की ? निर्णय आपका…!

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