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अब नरसिंहानंद पर FIR, कहा – ‘गाँधी एक गंदगी, नहीं रिहा हुए कालीचरण महाराज तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर के सामने आमरण अनशन’

यति नरसिंहानंद सरस्वती और सागर सिंधु महाराज पर FIRउत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित हुए धर्म संसद के मामले में महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती और एक अन्य संत पर FIR दर्ज की गई है। इस मामले में पहले ही FIR दर्ज कर ली गई थी, लेकिन अब इसमें उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के अलावा सागर सिंधु महाराज का नाम भी जोड़ा गया है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के अनुसार, वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर ये कार्रवाई हुई है।

भड़काऊ भाषण के आरोप में इन दोनों पर ‘भारतीय दंड संहिता (IPC)’ की धारा-295A (किसी समुदाय द्वारा पवित्र मानी जाने वाली वस्तु को नष्ट करना या धार्मिक भावनाओं को आहत करना) भी जोड़ी गई है। बता दें कि हरिद्वार में 17-20 दिसंबर को इस धर्म संसद का आयोजन हुआ था, जिसमें वसीम रिजवी से जितेंद्र नारायण त्यागी बने सुन्नी वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भी शामिल हुए थे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी इस आयोजन पर निशाना साधा था।

उधर रायपुर धर्म संसद में महात्मा गाँधी पर दिए गए बयान को लेकर कालीचरण महाराज की मध्य प्रदेश से गिरफ़्तारी का भी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने विरोध किया है। उन्होंने गाँधी को ‘गंदगी’ बताते हुए कहा कि इस गिरफ़्तारी को अंजाम देने वालों का माँ काली और महादेव विनाश कर देंगे। उन्होंने ये भी कहा कि अगर कालीपुत्र कालीचरण महाराज को जल्द रिहा नहीं किया जाता है तो वो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर जाकर आमरण अनशन करेंगे।

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वहीं इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 100 से अधिक छद्दम ‘बुद्धिजीवियों’ ने पत्र लिख कर साधु-संतों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है। साथ ही वकीलों का एक समूह भी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना को पत्र लिख कर ऐसी आयोजनों के स्वतः संज्ञान लेने की अपील कर चुका है। 76 वकीलों के इस समूह ने ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर भी आपत्ति जताई थी। हरिद्वार वाले कार्यक्रम में डॉक्टर मनमोहन सिंह को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप लगे हैं। 

ये वही गैंग है जिसने जामा मस्जिद दिल्ली के इमाम के विरुद्ध भड़काऊ भाषणों पर गिरफ्तार होने से उसी तरह संरक्षण दिया जाता था, जिस तरह इस्लामिक आतंकवादियों को संरक्षण दिया जाता था। कोर्ट से गिरफ़्तारी के आदेश होने के बावजूद कभी बीमारी अथवा किसी अन्य कारणों का बहाना कर गिरफ्तारी से बचाते रहे, लेकिन हिन्दू साधु-संतों द्वारा सच्चाई उजागर करने पर जेलों में डाला जा रहा है। तब कहाँ गयी थी इनकी धर्म-निरपेक्षता? 

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