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संपादकीय

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर पाकिस्तान की झुँझलाहट

भारत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के माध्यम से अपने पड़ोसी शत्रुओं को यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई देश शांतिप्रिय भारत को छेड़ेगा तो भारत उसको छोड़ेगा नहीं । भारत की इस नीति पर अब किसी को शंका या सन्देह करने की आवश्यकता नहीं है , क्योंकि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उतना ही ध्यान रखने का अधिकारी है जितना कोई अन्य देश रखने का अधिकारी होता है। भारत के संदर्भ में वर्तमान में विश्व नेताओं को यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि भारत की शांतिप्रियता का अभिप्राय यह नहीं है कि वह आंख मूंदकर और मौन साधकर दूसरों के अत्याचारों को सहन करता रहे। शांतिप्रियता का अभिप्राय है कि अपने अधिकारों व राष्ट्रीय हितों के प्रति पूर्णतया सजग रहकर दूसरों के सम्मान का ध्यान रखना। हम ना किसी के अधिकारों का अतिक्रमण करेंगे और ना ही अपने अधिकारों का अतिक्रमण करने देंगे ,यह आज के समर्थ और शक्तिशाली भारत की विदेश नीति का सूत्र है।
    भारत की इसी प्रकार की नीति, रणनीति और रक्षा-नीति को स्पष्ट करते हुए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में अभी हाल ही में कहा था कि यह नया और शक्तिशाली भारत है। राजनाथ के इस बयान पर पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय आगबबूला हो गया है। उसने कहा कि राजनाथ का बयान एक तरफ भ्रांतिजनक है, वहीं यह भारत के अपने पड़ोस‍ियों के प्रति शत्रुता को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि पाकिस्‍तान किसी भी आक्रामक कार्रवाई से रक्षा करने के लिए तैयार है।
     रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा था कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ अच्‍छे रिश्‍ते चाहता है और किसी भी देश पर हमला नहीं किया है। भारत ने कभी भी विदेशी जमीन पर कब्‍जा नहीं किया है। पड़ोसियों के साथ अच्‍छे रिश्‍ते भारत की संस्‍कृति में हैं लेकिन कुछ लोग इसे नहीं समझते हैं। पाकिस्‍तान ने हमें चेतावनी दी थी कि भारत उसकी जमीन या इलाके में घुसने का साहस नहीं कर पाएगा लेकिन हमने सर्जिकल स्‍ट्राइक करके यह दिखा दिया कि हम ऐसा कर सकते हैं।
  वास्तव में पाकिस्तान का जन्म भारत के प्रति नफरत के आधार पर हुआ था। वह अपने लोगों की गरीबी और अन्य मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति की ओर से उनका ध्यान हटाने के लिए भारत के साथ युद्ध का हौवा खड़ा किये रखना चाहता है। इसके अतिरिक्त भारत की क्षेत्रीय एकता और अखंडता को समाप्त करके वह इस्लामिक जेहाद के माध्यम से भारत के बहुसंख्यक धर्म को भी समाप्त कर देना चाहता है। हमारी यह बात किसी भी संप्रदाय विशेष के विरुद्ध विषवमन करना नहीं है, और ना ही किसी देश के विरुद्ध किसी प्रकार की भ्रांति फैलाना है । अब यह अनेकों प्रमाणों से सिद्ध हो चुका है कि पाकिस्तान में बैठकर भारत विरोधी शक्तियां किस प्रकार भारत में मुगलिस्तान के सपने देख रही हैं और पाकिस्तान कश्मीर को हड़पकर भारत में खालिस्तान बना देने की योजनाओं पर काम किया जा रहा है?
पाकिस्तान की योजनाओं और सपनों के प्रति भारत के नेतृत्व का सजग और सावधान रहना बहुत आवश्यक है । इसलिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर पाकिस्तान चाहे कितना ही आगबबूला क्यों न हुआ हो हमारा मानना है कि भारत के रक्षा मंत्री ने जो कुछ कहा है वह नितांत उचित है। भारत विरोधी लोगों और शक्तियों की आरती उतारते रहकर अपने राष्ट्रीय हितों के साथ चुपचाप सौदा करने का ‘दब्बू भारत’ अब बीते दिनों की बात हो चुका है ।वह अपने वर्तमान के प्रति गंभीर और सजग रहकर भविष्य के बुलंद भारत के निर्माण में लगा हुआ है। जिसके लिए प्रत्येक शत्रु को समय रहते सावधान करना और आवश्यकता पड़े तो उसकी गर्दन को मरोड़ना भी आज के भारत की सक्षम नीतियों में सम्मिलित होना ही चाहिए । जिसका संकेत देकर राजनाथ सिंह ने देश का सीना गर्व से चौड़ा किया है।
  हमें यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि देश में जिस प्रकार फर्जी किसानों ने एक वर्ष से फर्जी आंदोलन चला रखा है ,उसके पीछे कौन सी ताकते खड़ी हैं और उन ताकतों का वास्तविक उद्देश्य क्या है ? यदि हम इस पर चिंतन करेंगे तो पाकिस्तान इन ताकतों में सबसे प्रमुख ताकत के रूप में दिखाई देगा। वह 1972 से ही भारत को तोड़ने की गतिविधियों में लगा हुआ है, जब उसने ‘आनंदपुर साहिब प्रस्ताव’ पारित कराकर के खालिस्तान की स्थापना की बातें करानी आरंभ की थीं।
     आज भी पाकिस्तान में ऐसे नारे लगाए जा रहे हैं कि कश्मीर पाकिस्तान का है और पंजाब खालिस्तान का है। पाकिस्तान से आ रही इस प्रकार की भारत विरोधी आवाजों का एक ही उद्देश्य है कि जैसे भी हो भारत को समाप्त कर दिया जाए , ऐसी स्थिति में भारत को अपने पड़ोसी देश के इरादों को भांपकर उसके विरुद्ध ‘कठोर कार्रवाई’ के लिए तैयार रहना चाहिए। पाकिस्तान को लेकर हमें ध्यान रखना चाहिए कि ‘लातों के भूत कभी बातों से नहीं मानते’ हैं। इसकी फितरत में ही लातों से मानना लिखा है। जब – जब इसका मुंह पिट जाता है तब तब यह थोड़ी देर के लिए शांत होता है। जैसे ही मुंह की पिटाई की खुजलाइट मिटती है वैसे ही यह फिर आंखें दिखाने लगता है। इसलिए मोदी सरकार को इस बार सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि इसकी गर्दन को ही मरोड़कर इसका उपचार करना चाहिए।
   1947 के बाद से ही हमारे देश में एक ऐसा वर्ग बौद्धिक वर्ग तेजी से पैदा हुआ जिसने यह कहना आरंभ किया कि दोनों देशों की आवाम शांति चाहती है, परंतु सियासत ऐसा नहीं चाहती। ऐसे लोगों के इस भ्रम में फंसकर कई लोगों का बौद्धिक परिवर्तन हुआ। उन्हें ऐसा लगा कि जैसे पाकिस्तान की जनता भी भारत के साथ शांति और सद्भाव चाहती है। हमारा मानना है कि यदि पाकिस्तान की जनता भारत के साथ शांति और सद्भाव चाहती तो वह 1947 में अलग देश नहीं मांगती। पाकिस्तान उन्हीं लोगों ने बनाया जिन लोगों ने 1945 में भारत की नेशनल असेंबली के हुए चुनावों में भारत के विरोध में अपना मत दिया था और भारत के प्रति अपनी घृणा का प्रदर्शन किया था। तब से लेकर आज तक पाकिस्तान के लोग अपने लिए उस सरकार को ही चुनते रहे जो भारत के विरोध में जहर उगलने में प्रथम स्थान पर रही हो। ऐसे में स्पष्ट है कि भारत के विरुद्ध जहर उगलने वाले नेताओं को ही पाकिस्तान की जनता अपना सहयोग और समर्थन देती है। तब हमें पाकिस्तान की जनता और पाकिस्तान के नेतृत्व के साथ-साथ वहां की सेना के बारे में एक साथ यह सोच व समझ लेना चाहिए कि ये सब भारत विरोधी कामों में ही लगी हुई हैं।
     कांग्रेसी सरकारों के समय में बेकार की लीपापोती करने के इन शब्दों से अब हमें बचना चाहिए कि पाकिस्तान की आवाम भारत के साथ शांति चाहती है। यद्यपि भारत के जनता के बारे में यह अवश्य कहा जाता है जा सकता है कि यहां के लोग न केवल पाकिस्तान के प्रति अपितु सारी दुनिया के देशों के साथ भी शांति और सद्भाव चाहते हैं। क्योंकि वास्तव में विश्व शांति का सपना और आदर्श स्वरूप केवल भारत के लोगों के पास है।
   हमें भारत की भीतरी परिस्थितियों पर भी इस समय विचार करने की आवश्यकता है। विशेष रुप से किसानों के नेता के रूप में राकेश टिकैत को जिस प्रकार कुछ लोगों ने अपनी देश विरोधी भावनाओं का मुखौटा बना रखा है उस स्थिति को हमें कम करके नहीं आंकना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के उपरांत भी राकेश टिकैत ने पूरी बेहयाई और ढीठता का प्रदर्शन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके पास 700 डिमांड्स हैं ….। बात स्पष्ट है कि वह अपने पिटारे में से नई-नई मांगों के सपोले निकालते रहेंगे और इस आंदोलन को निरंतर चलाते रहेंगे। इससे भारत विरोधी शक्तियों को और भारत के भीतर बैठे जयचंदों को भारत को कमजोर करने का मार्ग मिलता रहेगा। अतः आज के नए भारत के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने जिस प्रकार का बयान दिया है उसी बयान को भीतरी शत्रुओं से निपटने के संदर्भ में भी देखना व समझना चाहिए। यह बात तब और भी समझने योग्य जाती है जब अभी कुछ समय पहले देश के गृह मंत्री अमितशाह ने यह कहा है कि अब युद्ध के तरीके बदल चुके हैं । लोग अब हमारी सामाजिक एकता को तार-तार करके भी हमें जीतने की योजनाओं में लगे हुए हैं।
    भारत में जिस प्रकार मूल निवासी बनाम अन्य का विवाद फैलाकर जय भीम और जय मीम का शोर मचाया जा रहा है, और जातियों को लड़ाने की योजनाओं पर काम किया जा रहा है उस संदर्भ में गृह मंत्री अमितशाह के इस बयान को देखने व समझने की आवश्यकता है।
   परिस्थितियां स्पष्ट कर रही हैं कि पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने का समय आ चुका है। अपनी क्षेत्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए और भीतरी शत्रुओं से निपटने के लिए सारी समस्याओं की जड़ पर प्रहार करना समय की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री के बयान पर पाकिस्तान की झुंझलाहट यह बता रही है कि उसे भी यह आभास हो चुका है कि नए समय का भारत कितना शक्ति संपन्न और साधन संपन्न है ? उसकी इच्छा शक्ति और प्रहार शक्ति के समक्ष पाकिस्तान कुछ भी नहीं है।

  –डॉ राकेश कुमार आर्य

  

  

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