अब अल्पसंख्यकों तक मोदी सरकार की नीतियों और फैसलों को पहुंचाने की भाजपा ने की बड़ी तैयारी

अजय कुमार 

उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 403 में से 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटें ही जीती थीं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पहले से कोई धारणा बनाकर चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी। कौन बीजेपी को वोट देता है और कौन नहीं, इसकी चिंता किए बिना बीजेपी के कार्यकर्ता हर वोटर के दरवाजे पर दस्तक देंगे। सभी वोटरों से सम्पर्क बनाने को मूलमंत्र बनाकर बीजेपी नेता और कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में मुस्लिम वोटरों से वोट मांगने उनके भी दरवाजे पर जाएंगे। इसी मूलमंत्र को धारण करके उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने मिशन 2022 के लिए तैयारी तेज कर दी है। योगी सरकार ने पिछले महीने ही अपना रिपोर्ट कार्ड जारी किया था और अब अल्पसंख्यकों तक मोदी सरकार और योगी सरकार के फैसलों को पहुंचाने के लिए बीजेपी ने प्रदेश के सभी जिलों में रथयात्रा निकालने का फैसला लिया है, तो समाजवादी पार्टी जैसे दलों को बीजेपी का यह फैसला रास नहीं आ रहा है। समाजवादी नेता नरेन्द्र भदौरिया आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी के खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग-अलग हैं। भाजपा पहले मुसलमानों को डराती है और उसके बाद उनसे वोट मांगती है।

बहरहाल, बीजेपी अपनी प्रस्तावित रथयात्रा के जरिए अल्पसंख्यकों तक जाकर मोदी और योगी के फैसलों की जानकारी पहुंचाएगी। बीजेपी अल्पसंख्यक जन जागरूक यात्रा के नाम से रथयात्रा निकाल कर हर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी राज में अल्पसंख्यकों की भागीदारी और अन्य फैसलों को गिनाएगी। इन यात्राओं में बीजेपी अपने दिग्गज मुस्लिम चेहरों को भी आगे करेगी। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, बिहार सरकार में मंत्री शाहनवाज हुसैन और राज्यसभा सांसद जफर इस्लाम जैसे नेताओं को इस अभियान में शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं, हर जिल में अल्पसंख्यकों के लिए एक इंटेलेक्चुअल कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाएगा। माना जा रहा है कि यूपी में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की सक्रियता को बढ़ते देख बीजेपी ने ये फैसला लिया है।
   
उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 403 में से 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटें ही जीती थीं। मायावती की बसपा 19 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। बीजेपी आलाकामन ने तय किया है कि अल्पसंख्यकों तक पार्टी अपनी अच्छी बातों और जनहित के फ़ैसले को पहुंचाएगी इसमें साथ ही मुसमलानों को यह भी बताया जाएगा कि उनकी सरकार सभी के लिए है। केंद्रीय योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों को कैसे मिला, इस बारे में भी बताया जाएगा। यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री दानिश आज़ाद कहते हैं कि ‘पीएम आवास योजना हो या आयुष्मान कार्ड योजना, किसी भी योजना के आंकड़े देख लीजिए, अल्पसंख्यकों को भी इससे फायदा हुआ है। ये बहुत महत्वपूर्ण बात है। हम लोगों की जिम्मेदारी इसी बात को और सच्चाई को आगे रखने की है।’ इसके अलावा पार्टी सभी जिलों में इंटेलेक्चुअल कॉन्फ़्रेन्स भी करेगी जिसमें अल्पसंख्यक बुद्धिजीवियों को शामिल किया जाएगा।

गौरतलब है कि हाल ही में योगी सरकार ने उर्दू अखबारों में विज्ञापन देकर इस बात को विस्तार से बताने की पहल की थी कि सरकार के फैसलों से अल्पसंख्यकों को अन्य सभी वर्गों की तरह कितना लाभ हुआ है। हालांकि, विपक्षी दल इस बात पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हैदर का कहना है कि बीजेपी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया। क्या बीजेपी को लगता है कि मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने की जरूरत नहीं है ? खासतौर पर तब जब बीजेपी जाति के आधार कर टिकट बांटती है। क्या बीजेपी को लगता है कि मुस्लिम समाज ये सवाल उनसे नहीं करेगा ? 
  
बीजेपी की अल्पसंख्यक विकास यात्रा को लेकर जहां विपक्ष मोदी-योगी पर हमलावर है, वहीं जानकारों का कहना है कि बीजेपी को अच्छी तरह से यह मालूम है कि मुस्लिम वोटर उसे वोट नहीं देंगे, लेकिन बीजेपी चाहती है कि उसके अपने प्रयासों से भले ही उसे वोट नहीं मिले, परंतु यदि मुस्लिम वोट के ध्रुवीकरण को रोकने में वह (बीजेपी) कामयाब हो गई तो आधी लड़ाई तो वह वैसे ही जीत लेगी। इसी को ध्यान में रखकर बीजेपी अपनी गोटियां बिछा रही है।

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