सबसे सस्ता आज जहां में, बिकता है ईमान।
तू सर्वेसर्वा मानता नेचर, कहता क्या होता भगवान?
अरे ओ आधुनिक विज्ञान!
अरे ओ मतवाले विज्ञान, किये तूने कितने आविष्कार?
किंतु आज भी वंचित क्यों है, सुख शांति से संसार?
अंतिम दम तक आइनस्टाईन, करता रहा पुकार।
श्रेष्ठ पुरूषों के बिन नही होगा, सुख शांति का संसार।
अत: समय रहते तू कर ले, ऐसे मानव का आविष्कार।
जो मानवीय मूल्यों को बना लें, जीवन का आधार।
त्यागें ईष्र्या, द्वेष घृणा, करें सेवा त्याग प्रेम स्वीकार।
भय तनाव संशय हिंसा का, होगा दूर अंधकार।
तभी सुरक्षित रह पाएंगे, हर प्राणी के प्राण।
अरे ओ आधुनिक विज्ञान!