Categories
राजनीति

सरकार का इरादा लोगों को आत्म निर्भर बनाना: जेटली

arun jaitleyमुद्रा ऋण योजना से समाज के सबसे कमजोर तबके को फायदा होगा, यह विश्वास जताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि सरकार का इरादा लोगों कोई बख्शीश देना नहीं, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का है। अपने फेसबुक पोस्ट में जेटली ने कहा कि मौजूदा सरकार का मॉडल बख्शीश देना नहीं, बल्कि लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें सम्मान का जीवन उपलब्ध कराना है। मुद्रा स्कीम अगले कुछ वर्षों में पासा पलटने वाला साबित होगा। जेटली ने पिछले सप्ताह मुद्रा स्कीम के तहत सूक्ष्म और छोटे कारोबारियों के लिए ऋण सुविधा का एक वृहद अभियान शुरू किया। इस स्कीम के तहत बैंक, एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस संस्थान समाज के ऐसे लोगों को 50,000 रुपये से 10 लाख रुपये के बीच ऋण उपलब्ध कराएंगे जिन्हें अभी तक बैंकों व वित्तीय संस्थानों द्वारा आमतौर पर ऋण नहीं मिलता था। जेटली ने अपने पोस्ट में कहा कि भारत सभी को रोजगार उपलब्ध न कराने में समर्थ न हो, पर हमारी अर्थव्यवस्था सबसे कमजोर तबके के लोगों को स्वरोजगार लगाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 37 लाख लाभार्थियों को 24,000 करोड़ रुपये ऋण दिया जा चुका है। मेरा अनुमान है कि इस साल लाभार्थियों की संख्या डेढ़ करोड़ को पार कर जाएगी। साल दर साल यह संख्या बढ़ेगी। जेटली ने कहा कि पहले लोग ऋण के लिए महाजनों पर निर्भर थे और लोगों से 24 प्रतिशत से लेकर 36 प्रतिशत तक की ऊंची दर से ब्याज वसूला जाता था। असंगठित क्षेत्र में 5.7 करोड़ उद्यमी हैं जिन्होंने 11 करोड़ रोजगार पैदा किए हैं।

उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना अगले कुछ वर्षों के लिए जारी रहेगी। छह करोड़ लोगों को मुद्रा योजना के तहत ऋण देकर भारत के छोटे उद्यमियों के तौर पर विकसित करने की जरूरत है। इन्हें डेबिट कार्ड जारी किए जाएंगे जिनके जरिए वे एटीएम से पैसा निकाल सकेंगे। ये लोग कुछ भी गिरवी रखने में समर्थ नहीं है, इसलिए इनके लिए रेहन रखने की आवश्यकता लागू नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि ये ऋण निजी और राजनीतिक संबंधों के आधार नहीं दिए जाएंगे, बल्कि इन संभावित उद्यमियों के कारोबारी प्रस्तावों से जुड़े होंगे। मुद्रा योजना में 120 साझीदार हैं जिनमें सरकारी बैंक, निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस संस्थान शामिल हैं। जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय समाज के इस तबके को 1.22 लाख करोड़ रुपये दिए जाएंगे। ऋणों के तीन वर्गों में शिशु के तहत 50,000 रुपये तक का ऋण, किशोर के तहत 5 लाख रुपये तक का ऋण और तरण के तहत 10 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version