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पर्व – त्यौहार

वीर हकीकत राय का बलिदान दिवस बसंत पंचमी पर विशेष

एक दिन हकीकत राय का अपने मुसलमान सहपाठियों के साथ झगड़ा हो गया । उन के मुस्लिम सहपाठियों ने माता दुर्गा के प्रति अप् शब्द कहे, जिसका हकीकत राय ने विरोध करते हुए कहा, ”क्या यह आप को अच्छा लगेगा यदि यही शब्द मैं आपकी बीबी फातिमा (मोहम्द की पुत्री) के सम्बन्ध में कहुँ ? इसलिये आप को भी अन्य के प्रति ऐसे शब्द नहीं कहने चाहियें ।” इस पर मुस्लिम बच्चों ने शोर मचा दिया कि इसने बीबी फातिमा को गालियाँ दे कर इस्लाम और मोहम्मद का अपमान किया है ! साथ ही मुसलिम बच्चों ने वीर हकीकतराय को मारना पीटना शुरू कर दिया ! मदरसे के मोलवी ने भी मुस्लिम बच्चों का ही पक्ष लिया ! शीघ्र ही यह बात सारे स्यालकोट (पकिस्तान) में फैल गई । कई धर्मान्ध मजहबी लोगों ने असहाय हकीकतराय को पकड़ कर मारते-पीटते हुए  स्थानीय हाकिम आदिल बेग के समक्ष ले गए। वो समझ तो गया की यह तो बच्चों का झगड़ा है, मगर कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम लोग उसे मृत्यु-दण्ड की मांग करने लगे । हकीकतराय के माता पिता ने भी दया की याचना की । तब आदिल बेग ने कहा, ”मैं तो मजबूर हूँ ! अगर यह बालक हकीकतराय इस्लाम कबूल कर ले तो उसकी जान बख्श दी जायेगी।” लेकिन 14 वर्ष के बालक वीर हकीकतराय ने वीरता के साथ इसलाम मजहब सवीकार करने से इंकार कर दिया । उनहोंने इन्कार क्या किया, बस काजी ने तो वीर हकीकत राय के वध का फरमान जारी कर दिया ! वीर हकीकतराय अपने धर्म पर अडिग रहे लेकिन मुसलमान होना सवीकार नहीं किया । आज बसंत पंचमी के दिन वीर हकीकत राय ने धर्म के लिए अपना बलिदान दे दिया ! धर्म पर बलिदान देकर वह भारत माता का सच्चा सपूत धन्य हो गया !
इतिहास गवाह है कि क्रुर व धर्मान्ध मुस्लिम शासकों ने तलवार के बल पर ऐसे अनेकों वीर बच्चों का वध कर दिया ! याद रखो ! आज ऐसे वीरों के धर्म पर बलिदान देने के कारण ही तो आज हमारा अस्तित्व है ! जरा सोचो, विचारो, याद करो न फरियाद, न मानव अधिकार की बात, न न्याय, न दया, न भगवान का डर, न खुदा का डर ! पढ़ो इतिहास के उन काले पन्नों को, क्रूरता व धर्मांधता का, दानवता व दमन का दिग्दर्शन हो जायेगा ! मित्रो ! जरा आज तो उन की कुर्बानी को याद कर लो !
बालक वीर हकीकतराय के शौर्य और बलिदान के आगे हम नतमस्तक होकर वंदन करते हैं ।
(साभार)

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