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वर्तमान समय में राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां

🔱🔔 राष्ट्र के समक्ष चुनौति 🔱🔔
भारत राष्ट्र के आमजन को समग्रता के साथ यह स्वीकारना होगा कि स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात जम्मू कश्मीर राज्य में अलगाववादी, आतंकवादी और कट्टरवाद की जो समस्या है वह केवल केंद्र सरकार एवं कश्मीर के विस्थापित पंडितों के पुनर्वास की समस्या नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत वासियों के स्वाभिमान के समक्ष समस्या एवं चुनौती है।आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सभी भारत वासी एकजुट होकर जम्मू कश्मीर के वैभव को पुनर्स्थापित करने का संकल्प करें और इस अभियान में सहभागिता निभाएं। शैव, शांक्त, बोद्ध धर्म सम्प्रदाय मत के अनुयायियों की निष्ठा के ऐतिहासिक स्मारक जम्मू कश्मीर में विद्यमान हैं। जिन का अनूठा इतिहास साहित्य कला और संस्कृति की अमूल्य धरोहरे ,कश्मीर क्षेत्र में है। विशेष रुप से अखंड सांस्कृतिक भारत राष्ट्र निर्माता शकार्य गुर्जर राजवंशों के उत्तराधिकारियों के समक्ष अपने पूर्वजों का इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरे हैं जिन्हें आक्रांताओं तथा अलगाववादियों ने कालांतर में नष्ट भ्रष्ट किया है। पूर्वजों के गौरव की इन सभीधरोहर जिन का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व है उनका जीर्णोद्धार और संरक्षण होना चाहिए, यह कार्य केवल भारत सरकार के भरोसे नहीं होने वाला है। अयोध्या में भगवान श्री राम जन्म भूमि के जीर्णोद्धार कार्य की भांति जम्मू कश्मीर के आस्था स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए संपूर्ण भारत वासियों को संकल्प बद्द होना होगा।

मैं लेखक हूं साहित्य परिवार द्वारा कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की समस्या के प्रति केंद्र सरकार तथा भारत वासियों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जन जागरण की पहल की गई है।संपूर्ण देशवासियों को उस पुनीत कार्य में सहभागी बनने की दृष्टि से अपने अपने कार्य क्षेत्र में जन-जागरण कार्य प्रारंभ करना चाहिए।सामाजिक संगठन एवं साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर रहे भारत साहित्यकारों एवं कला मर्मज्ञों की दृष्टि में पाक अधिकृत कश्मीर और चीन अधिकृत जम्मू कश्मीर को मुक्त करवाने की दृष्टि से देश के लोक मानस को संपूर्ण स्थिति की जानकारी तथा केंद्र सरकार द्वारा इस विषय में त्वरित कार्यवाही करने हेतु जनमत निर्माण की आवश्यकता है। सभी भारत वासियों को अपनी अंतरात्मा से यह स्वीकारना होगा कि निरंतर आतंकवादियों का उत्पीड़न सह रहे जम्मू कश्मीर वासी हमारे अपने बंधु हैं। हम हमारे उन बंधुओं के लिए क्या ? सब मिलकर उनकी समस्याओं के निदान के लिए संबल नहीं बन सकते हैं। जम्मू कश्मीर मात्र वहां के लोगों की समस्या नहीं बल्कि भारतीय अखंडता और गौरव का केंद्र है वह हमारा सबका अपना गौरव है। केवल सरकार, दलगत राजनीति एवं संप्रदाय का जम्मू कश्मीर विषय नहीं संपूर्ण हिंदू राष्ट्र के गौरव के लिए आतंकवादियों द्वारा चुनौती है ।जिसका मुकाबला करने की मानसिकता प्रत्येक भारतीय को अपने आप में जागृत करनी होगी।
राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत इस पुण्य यज्ञ कार्य के लिए हम सब मिलकर अपनी आहुति देने के लिए आगामी 22 फरवरी को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की पहल करें। क्योंकि इसी दिन 1994 में भारतीय संसद ने पाक अधिकृत कश्मीर के बारे में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। “प्रस्ताव में कहा गया था कि पाक अधिकृत कश्मीर संपूर्ण भारत का अभिन्न अंग है और इसे वापस पाने की क्षमता तथा इच्छाशक्ति भारत में है।”
हम भारतीय संसद के जनप्रतिनिधियों को संसद द्वारा 1994 में पारित प्रस्ताव की याद दिलाने के लिए 22 फरवरी को संकल्प दिवस के रूप में मनाएं। क्योंकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शैव दर्शन का दार्शनिक उद्भव केंद्र भी जम्मू-कश्मीर है, इस दृष्टि से हम भगवान शिव के उपासको को इस बात का स्मरण कराएं कि वह शिवरात्रि का भव्य आयोजन जम्मू कश्मीर में आयोजित करने की पहल करें।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस्लामिक जिहादियों ने जम्मू-कश्मीर में 1990 के बाद 200 के लगभग हिंदू मंदिरों को तोड़ा है जिनमें से अभी तक मात्र 60 – 70 मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य हुआ है।आगामी 22 फरवरी को देश का प्रत्येक नागरिक इस बात का संकल्प करें कि जब तक जम्मू कश्मीर के मंदिरों का जीर्णोद्धार और कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास नहीं होगा तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।हम सब मिलकर 22 फरवरी को संकल्प करते हुए प्रतिज्ञा करें, जम्मू कश्मीर के उन भागों को पुनर्प्राप्त करने के लिए संकल्प बद्द है, जो पाकिस्तान और चीन के कब्जे में है। जम्मू कश्मीर के विस्थापितों, पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों, आतंकवाद प्रभावित हिंदुओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति जिन को न्याय पूर्वक आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों की समस्याओं का समाधान होने तक जन जागरण एवं संघर्ष के लिए संकल्प बद्ध हैं।
(वंदे मातरम जय जय मातृभूमि भारत माता)
मोहनलाल वर्मा
संस्थापक संयोजक
अखंड भारत गुर्जर महासभा एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गुर्जर इतिहास भाषा साहित्य शोध संस्थान।

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