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आतंकवाद

जाकिर नाईक को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का समय आ चुका है

भारतीय सुरक्षा व गुप्तचर एजेंसियों ने खुलासा किया है कि जाकिर नाईक भारत को इस्लामिक देश में तब्दील करने के लिए रोहिंग्या आर्मी खड़ी किया है, इराक और सीरिया के आईएस आतंकवादी भी उसके साथ जुडे हुए हैं। मुस्लिम वैश्विक दुनिया से जाकिर नाईक को अरबों डालर मिल रहे हैं। जाकिर नाईक को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराया जाना चाहिए। जाकिर नाईक और रोहिंग्या -आईएस आतंकवादियों को शरण देने वाले और इन्हें भारत विध्वंस के लिए सहयता करने वाले पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया को भी वैश्विक मंचों पर घसीटना चाहिए।

विष्णुगुप्त

तथाकथित मुस्लिम मजहबी गुरू जाकिर नाईक अब अलकायदा के पूर्व आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन बनने की राह पर चल निकला है। भविष्य में वह ओसामा बिन लादेन की प्रेरणा को आधार बना कर अलकायदा और आईएस जैसा आतंकवादी संगठन खड़ा करेगा। ओसामा बिन लादेन ने जिस प्रकार से पाकिस्तान की राजनीति और आबादी के बीच में मुस्लिम आतंकवाद और मजहब का जहर घोला था उसी प्रकार से जाकिर नाईक भी मलेशिया की राजनीति का घोर इस्लामीकरण करेगा, पाकिस्तान से भी बड़ा आतंकवाद के आउटर्सोिर्संग करने वाला देश मलेशिया को बनायेगा। ओसामा बिन लादेन के निशाने पर अफगानिस्तान की सोवियत संघ की सेना और उसकी समर्थक सरकार थी, ठीक इसी प्रकार जाकिर नाईक का निशाना भारत होगा। भारत को एक मुस्लिम राष्ट्र के रूप में तब्दील करने का उसका आतंकवादी एजेंडा कोई नया नही है, यह उसका राजनीतिक एजेंडा काफी पुराना है। मलेशिया फरार होने से पूर्व वह कई सालों तक भारत में रह कर और सरेआम भारत को इस्लामिक राष्ट्र के रूप में तब्दील करने के लिए सक्रिय था। इसके लिए मुस्लिम युवकों को मजहबी मानसिकता से जोड़ने और मुस्लिम युवकों को भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ विष वमन करने के लिए उकसाता था। इस मजहबी आतंकवादी करतूत में उसे राजनीति का भी सहयोग और समर्थन मिला था। नरेन्द्र मोदी सरकार से पूर्व जो सोनिया गांधी-मनमोहन सिंह की सरकार थी उस सरकार में जाकिर नाईक की बडी धमक थी, जाकिर नाईक जैसे मजहबी आतंकवादी विचार के पोषकों और प्रचारकों को खूब सहयोग और समर्थन हासिल होता था, इनके विष वमन वाले भाषणों की कोई रोक-टोक नही थी। कांग्रेस के नेता दिग्विज सिंह भी जाकिर नाईक को भारत का शान और मानवता का हितैषी बताते थे। यद्यपि जाकिर नाईक के उफान और घृणा वाले भाषणों से भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुनौती मिलती थी और भारत को एक अंधेरगर्दी से पूर्ण, हिंसक और अमानवीय देश में तब्दील करने के लिए मानसिकताएं फैलती थी फिर भी उसे मुस्लिम वोट बैंक के आधार पर संरक्षण और सहयोग की गारंटी मिलती रही थी।
जाकिर नाईक को लेकर भारतीय सुरक्षा-गुप्तचर एजेंसियों ने जिस तरह के खुलासे किये हैं और जिस तरह की रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी है उसके खतरे और चुनौतियां काफी गंभीर हैं, डरावनी है, भारत की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है और वैश्विक स्तर पर भारत की कूटनीतिक सक्रियता को बढाने वाली है। भारतीय सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों ने साफ तौर भारत सरकार से कहा है कि जाकिर नाईक अब भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाला है, उसने मलेशिया में रोंिहंग्या आर्मी खडी की है, रोहिंग्या आर्मी में न केवल रोहिंग्या मुसलमानों को शामिल किया जा रहा है, बल्कि मलेशिया के मुस्लिम युवकों के साथ ही साथ भारत के मुस्लिम युवकों को भी शामिल किया जा रहा है। रोहिंग्या मुसलमानों के पूर्व आतंकवादी जो म्यांमार छोडकर भाग खडे हुए थे वे अब जाकिर नाईक की रोंिहंग्या आर्मी का नेतृत्व करेंगे और उसमें शामिल होकर मुस्लिम आतंकवाद और हिंसा को फैलायेंगे। एक समय में रोंहिंग्या आंतकवादियों ने अपनी हिंसा और आतंकवाद से म्यांमार की संप्रभुत्ता को चुनौती दी थी, म्यांमार की बौद्ध और हिन्दू आबादी को अपनी हिंसा और आतंकवाद से लहूलुहान किया था, डराया-धमकाया था, रोंहिंग्या आबादी वाले इलाके से भाग जाने का विकल्प दिया था, म्यांमार की पुलिस और सैनिक छावनियों पर संगठित हमले कर दर्जनों पुलिस और सैनिक जवानों की हत्या कर डाली थी। प्रतिर्किया में म्यांमार की पुलिस और सेना की सक्रियता शुरू हुई थी, असिन विराथु नाम का एक नन्हा बौद्ध साधु ने मोर्चा संभाला था। म्यांमार की पुलिस और सेना की प्रतिकिया रोहिंग्या आतंकवादियों ही नहीं बल्कि रोहिंग्या आबादी को भारी पडी थी। रोहिंग्या आतंकवादी अपनी जान बचाने के लिए भाग खडे हो गये थे। रोहिंग्या आतंकवादी भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मलेशिया में शरण लिये थे। करीब दो लाख रोहिंग्या आबादी भी म्यांमार से पलायन करने के लिए बाध्य हुई थी। प्रमुख शरणकर्ता देश बाग्लादेश भी अब रोहिंग्या मुस्लिम आबादी को अपनी संप्रभुत्ता के लिए खतरे की घंटी मान रहा है और वैश्विक समुदाय से रोहिंग्याओं की समस्याओं का समाधान करने पर जोर दे रहा है, क्योंकि रोहिंग्या आबादी अब बांग्लादेश में हिंसा और मुस्लिम कट्टरता के सहचर बन रही हैं।
जाकिर नाईक की आतंकवादी करतूत के खिलाफ में सबसे पहली आवाज बांग्लादेश ने उठायी थी। बांग्लादेश में उस काल में एक पर एक कई आतंकवादी हमले हुए थे, मुस्लिम युवक लगातार आतंकवादी हमले में सक्रिय थे, इसके अलावा बांग्लादेश की मुस्लिम आबादी के बीच आतंकवाद की घृणा तेजी से बढ रही थी। बांग्लादेश की सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों ने जब इसकी पडताल गहणता के साथ की तब उनके होश उड़ गये। गहणता के साथ हुई जांच में यह निष्कर्ष सामने आया कि बांग्लादेश में होने वाली आतंकवादी घटनाओं की आधारशिला बांग्लादेश नहीं है बल्कि उसकी आधारशिला भारत है। जाकिर नाईक और उसका संगठन भारत में बैठ कर बांग्लादेश में आतंकवादी घटनाओं का प्रचार-प्रसार संगठित तौर पर कर रहे हैं, पकडे गये आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों के पास से जाकिर नाईक के घृणित और आतंकवादी विचार पर आधारित भाषणों के कैसेट ही नहीं बल्कि पुस्तिकाएं भी पकडी गयी थी। जैसे-जैसे जांच आगे बढी वैसे बांग्लादेश की सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों की चुनौतियां बढती गयी थी, उनके सामने जाकिर नाईक के नेटवर्क को ध्वस्त करने का कठिन और खतरनाक प्रश्न खड़ा था। बांग्लादेश पर उदारवादी सरकार राज कर रही थी। बांग्लादेश की उदारवादी सरकार जाकिर नाईक को स्वीकार नहीं थी। बांग्लादेश की मुस्लिम आबादी के बल पर वह भारत को इस्लामिक देश में तब्दील करने की राह पर था। बांग्लादेश ने गंभीरता दिखाते हुए भारत सरकार को जाकिर नाईक को नियंत्रित करने के लिए कहा। भारत में जब उसके संगठनों पर नकेल कसने की कार्यवाही शुरू हुई तो वह भाग कर मलेशिया चला गया।
मलेशिया भी उसी तरह की आग से खेल रहा है जिस तरह की आग से कभी पाकिस्तान ने खेला था। पाकिस्तान ने अपना आईकॉन ओसामा बिन लादेन को बना लिया था, अपना गौरव ओसामा बिन लादेन नाम का उस भगोडे को बना लिया था जिसकों उसके अपने देश सउदी अरब ने भगा दिया था। दुष्परिणाम क्या हुआ। आज पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन गाजर-मूली की तरह नागरिकों की हत्याएं करते हैं, आतंकवादी संगठनों की हिंसा और अलगाव के कारण आज पाकिस्तान कंगाल बन गया है, कोटरा लेकर भीख मांगने के बावजूद उसे अंतर्राष्ट्रीय जगत भीख यानी कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं। ओसामा बिन लादेन की तरह जाकिर नाईक भी मलेशिया का मूल निवासी नहीं है, वह भारत का भगोड़ा है। जाकिर नाईक भी मलेशिया की शांत राजनीति में जहर घोलना चाहता है। यह कहना सही होगा कि जाकिर नाईक मलेशिया की शांत राजनीति में जहर घोलना शुरू कर दिया है। मलेशिया में बहुलता में मुस्लिम आबादी जरूर है पर मलेशिया में हिन्दू, ईसाई, बौद्ध तथा चीनी आबादी भी भारी संख्या में है। मलेशिया की सत्ता मुस्लिम पक्षी होती है। मुस्लिम बहूलता के कारण हमेशा मजहबी सरकार बनती है। मलेशिया रहने के दौरान जाकिर नाईक ने गैर मुस्लिम आबादी को डराना और धमकाना शुरू कर दिया और उसका आतंकवाद-हिंसा का व्यापार सरेआम चलने लगा। उसने एक खतरनाक बयान दिया था कि मलेशिया से गैर मुस्लिमों को भगा दिया जाना चाहिए या फिर उन्हे इस्लाम स्वीकार करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। उसकी इस खतरनाक और हिंसक बयानबाजी की बडी प्रतिकिया हुई थी। मलेशिया के हिन्दू, ईसाई, बौद्ध और चीनी आबादी ने इसके खिलाफ आवाज उठायी। फिर मलेशिया की सरकार ने जाकिर नाईक के लिए कुछ नियंत्रण वाली राजनीतिक प्रक्रियाएं शुरू करने की बात की थी। दरअसल मलेशिया की मुस्लिम वैश्विक राजनीति के कारण जाकिर नाईक की आतंकवादी करतूत और नीति आगे बढ रही है। मलेशिया इधर मुस्लिम देशों का नेता बनने का ख्वाब रखता है। पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया ने दुनिया भर में मुस्लिम प्रश्नों पर त्रिकोण बनाया है। इस त्रिकोण के खास निशाने पर भारत है। पाकिस्तान के हित संरक्षण के लिए मलेशिया और तुर्की दुनिया के मंचों पर सक्रिय रहते हैं। भारत को डराने-धमकाने और भारत को एक इस्लामिक देश में तब्दील करने के लिए मलेशिया, पाकिस्तान, तुर्की जाकिर नाईक को संरक्षण दे रहे हैं। ग्रीस के एक पत्रकार ने कुछ दिन पूर्व खुलासा किया था कि तुर्की इराक और सीरिया के आईएस आतंकवादियों को कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिएं भेजने की साजिश कर रहा है।
ं भारत की प्रतिकिया क्या होनी चाहिए? पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया जैसे मुस्लिम देश तो भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की नीति से पीछे हटने वाले नहीं हैं, ये तो हमारे लिए स्थायी दुश्मन हैं, जाकिर नाईक, रोहिंग्या आतंकवादी और आईएस आतंकवादी भी हमारे लिए खतरे की घंटी है। अब भारत को अपने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों पर नीति बदलनी चाहिए, उन्हें निगरानी सूची में शामिल किया जाना चाहिए, उन्हें म्यांमार भेजने की रणनीति अपनानी चाहिए। पहले भी भारत में कई रोहिंग्या आतंकवादी पकडे गये हैं जो भारत में रह कर रोहिंग्या आर्मी खडी कर रहे थे। सबसे बडी कार्यवाही तो जाकिर नाईक पर होनी चाहिए। जाकिर नाईक को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराया जाना चाहिए, जाकिर नाईक और आईएस आतंकवादियों को शरण देने वाले और इन्हें भारत विध्वंस के लिए सहयता करने वाले पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया को भी वैश्विक मंचों पर घसीटना चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ स्तम्भकार हैं)

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