फ्रांस : टीचर के गला काटने पर लोगों का फूटा गुस्सा , पैगंबर मोहम्मद साहब के ढेर सारे कार्टून सरकारी बिल्डिंग पर

 पैगम्बर मोहम्मद के कार्टूनों से रंगे सरकारी भवन 
फ्रांस के पेरिस में एक शिक्षक थे सैम्युएल पैटी। इतिहास पढ़ाते थे। पढ़ाते-पढ़ाते उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के उन कार्टूनों को दिखा कर अपने छात्रों से चर्चा की, जिसे लेकर कट्टरपंथी इस्लामियों ने साल 2015 में शार्ली हेब्दो के कर्मचारियों का नरसंहार किया था। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनका गला काट दिया जाएगा। 

इस घटना के बाद फ्रांस सहित पूरी दुनिया में शिक्षक सैम्युएल पैटी और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए समर्थन शुरू हो गया। यह समर्थन लेखों और संपादकीय से निकल कर सड़कों तक भी पहुँच गया। लोगों ने मुखर होकर कट्टरपंथी इस्लामी सोच के विरुद्ध आवाज उठाई। फ्रांस में यह आवाज और तेज उठी है।

कहना असंभव है कि फ्रांस से उठी यह आवाज़ गैर-मुस्लिम देशों में कितनी मुखर होगी? यह भी शंका व्यक्त की जा रही है कि मोहम्मद पैगम्बर और इस्लाम पर हुए शोध जिन्हें समस्त गैर-मुस्लिमों से बचाकर रखने का असफल प्रयास हुआ, क्योंकि अनवर शेख के अतिरिक्त बांग्लादेश की तस्लीमा नसरीन और सलमान रुश्दी ने जरूर उस शोध पर प्रकाश डालने का प्रयत्न किया। लेकिन जितना विस्तृत उल्लेख अनवर ने किया तस्लीमा और सलमान उससे न्यूनतम किया। परन्तु जिस प्रकार अनवर ने इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद के विरुद्ध अपनी पुस्तकों में लिखा, किसी में अनवर के विरुद्ध फतवा अथवा सिर कलम करने का साहस तक नहीं कर पाया, यानि विश्व में कोई भी इस्लामिक संस्था उसके विरुद्ध एक भी शब्द बोलने में पूर्णरूप से असफल रहीं। कलकत्ता हाई कोर्ट में राम स्वरुप ने कुरान में गैर-मुस्लिम विरोधी 84 आयतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने कोर्ट निर्णय को बदलवाने में कामयाब हो गए, लेकिन दिल्ली की एक अदालत में हौज़ काज़ी थाने में दो हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध 24 आयतों के विरुद्ध दर्ज मुक़दमे पर 31 जुलाई 1986 को आए फैसले ने चौंका दिया, जिसे संसद के माध्यम से निरस्त कर दिया।

फ्रांस के ऑसिटैन क्षेत्र (Occitanie region) के दो टाउन हॉल मोंटपेलियर (Montpellier) और टूलूज़ (Toulouse) के बाहर शिक्षक सैम्युएल पैटी को याद करते हुए और अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने के लिए पैगम्बर मोहम्मद के उन कार्टूनों का 4 घंटे तक प्रदर्शन किया गया, जिनको लेकर शार्ली हेब्दो के कर्मचारियों का 2015 में नरसंहार किया गया था। सबसे पहले इन कार्टूनों का प्रकाशन शार्ली हेब्दो पत्रिका में ही किया गया था। 

स्थानीय सरकारी इमारतों पर शार्ली हेब्दो के विवादित कार्टून (पैगंबर मोहम्मद के कार्टून) के प्रदर्शन के कारण दंगे-फसाद से बचने के लिए हथियारों से लैस पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षा की। जगह-जगह लोगों ने शिक्षक सैम्युएल पैटी को याद करते हुए उनके बड़े-बड़े पोस्टर भी लगाए थे। जहाँ-जहाँ उनके पोस्टर लगे हुए थे, वहाँ भी फ्रेंच पुलिस को हथियारों के साथ गस्त करते देखा गया।

इस्लामी कट्टरपंथी द्वारा शिक्षक का गला काटने की घटना के बाद फ्रांस ने इस तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। फ्रांस 231 विदेशी कट्टरपंथी नागरिकों को बाहर निकालने की तैयारी कर रहा है। फ्रांस सरकार की तरफ से होने वाली यह कार्रवाई कट्टरपंथ और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में एक अहम कदम माना जा रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस घटना पर रोष जताते हुए कहा था:

“यह एक इस्लामी आतंकवादी हमला है। देश के हर नागरिक को इस चरमपंथ के विरोध में एक साथ आगे आना होगा। इसे किसी भी हालत में रोकना ही होगा क्योंकि यह हमारे देश के लिए बड़ा ख़तरा साबित हो सकता है।”

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