गुजरी पन्ना धाय का बलिदान संस्कृति और सभ्यता के लिए अनुपम उदाहरण : गुर्जर संस्कृति का गौरवशाली त्याग और वीरता का इतिहास सदैव अविस्मरणीय रहेगा

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अजय आर्य / नई दिल्ली
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“भारत राष्ट्र के निर्माण में गुर्जरी पन्नाधाय एवं महाराणा प्रताप की भूमिका” विषय पर आयोजित वेबीनार में विशिष्ट वक्ताओं ने बलिदान और वीरता पर महत्वपूर्ण विचार रखें और आह्वान किया कि गुजरी पन्ना धाय के बलिदान से त्याग और महाराणा प्रताप के जीवन से दृढ़ संकल्प और वीरता की सीख लेकर राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका निभाई जा सकती है।
आशापुरा मानव कल्याण ट्रस्ट के तत्वाधान में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस महत्वपूर्ण वेबीनार के संयोजक वरिष्ठ समाजसेवी राकेश छोकर और संचालन प्रमुख पर्यावरणविद् डॉ संजीव कुमारी रहीं। इस वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला एवं सेशन न्यायालय राजसमंद नरेंद्र कुमार ने कहा कि मां पन्नाधाय का बलिदान वैश्विक पटल के इतिहास में एक विशिष्ट और अनुपम उदाहरण है। अन्यत्र किसी संस्कृति में ऐसा महान बलिदान देखने और सुनने में नहीं मिलता । इसी तरह राष्ट्र निर्माण में महाराणा प्रताप की भूमिका सदैव अविस्मरणीय रहेगी। आज के हालातों को देखकर जरूरी यह हो गया है कि जिस भूमि पर पन्नाधाय जैसी मां पैदा हुई हो वहां आज महिलाओं की स्थिति बहुत सोचनीय बनी हुई है। हमें इस ओर काम करने की प्रबल आवश्यकता है। समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने के लिए सामाजिक संगठनों को कमर कसनी होगी।

कार्यक्रम की विषय वस्तु रखते हुए प्रमुख समाजसेवी डॉ मोहनलाल वर्मा ने कहा कि 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को गुजरी पन्नाधाय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के नाम से घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए जिस तरह से गुजरी पन्नाधाय और महाराणा प्रताप का गौरवमयी बलिदान और योगदान रहा वह अतुलनीय है। अगली पीढ़ी को उनके इतिहास से अवगत कराने के लिए, चरणबद्ध तरीके से कार्य योजना तैयार करने की प्रबल आवश्यकता है। कार्यक्रम में वरिष्ठ इतिहासकार एवं समाजसेवी डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुजरी पन्ना धाय का बलिदान अद्भुत एवं गौरवशाली है। जबकि महाराणा प्रताप ने जो भूमिका अदा की, वह सदा इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगी। गुर्जर वंश वीरो और बलिदानयो का वंश रहा है , जिस पर गर्व किया जाता रहेगा। ईशम सिंह चौहान ने कहा कि भारत में नारी शक्ति को सर्वोच्च स्थान मिला है, भारतीय संस्कृति में गुर्जरी के दूध को शेरनी के दूध के समान माना जाता है। यही कारण है कि गुर्जरों का इतिहास शौर्य और बलिदान का इतिहास रहा है। इस मौके पर उन्होंने गुजरी पन्नाधाय एवं महाराणा प्रताप पर अपना काव्य पाठ भी किया।
कार्यक्रम में ट्रस्ट के संस्थापक नानजीभाई गुर्जर, अखंड भारत गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर देवनारायण गुर्जर, प्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर डॉक्टर राकेश राणा, शहीद धन सिंह कोतवाल शोध संस्थान के संस्थापक तस्वीर सिंह चपराना ,पारुल चौधरी आदि ने भी गुर्जरी पन्ना धाय के बलिदान एवं महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथाओं की विस्तार से चर्चा की और आह्वान किया कि आज हमें वीर बलिदानियो से प्रेरणा लेकर राष्ट्र औऱ समाज निर्माण में महत्व भूमिका अदा करनी चाहिए।

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