मां हिंगलाज भवानी का अति प्राचीन मंदिर और बलूचिस्तान

हम अपने पिछले 100 वर्ष के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अनेकों क्रांतिकारियों ने अपने आप को देश के लिए न्यौछावर कर दिया । इन लोगों ने अपना बलिदान भारत को स्वतंत्र कराने के लिए किया था । पाकिस्तान बनवाने के लिए नहीं ।
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बना , बनते ही इसने पड़ोसी देश बलूचिस्तान को सैन्य बल का प्रयोग कर 27 मार्च 1948 को जबरन अपने साथ विलीन कर लिया । पाकिस्तान की संप्रभुता के साथ ऐसा दुष्टता पूर्ण कृत्य करने के बाद पाकिस्तान के शासकों के द्वारा बलूचिस्तान के निवासियों की जिंदगी नर्क बना दी गयी । नवनिर्मित पाकिस्तान ने इतना ही नहीं किया इसके अतिरिक्त यह भी किया गया कि पाकिस्तान में भले मस्जिदें काफी काफी दूरी पर हों , लेकिन बलूचिस्तान में मोहल्ले मोहल्ले में मस्जिद बनवा दी गई ।

बलोच लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने का काम होने लगा । जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया । बलोच लोगों के पूर्वज हिंदू थे । इसलिए उनकी श्रद्धा भारत के साथ थी । यही कारण है कि वह आज तक भी अपनी परंपराओं को भारत के अनुकूल मानते हैं। यह जानकारी उन्हीं लोगों ने अभी हाल के कुछ वर्षों में दी।
यहां तक कि वे लोग वाराणसी में आकर अपने पूर्वजों का पिंडदान भी करने लगे हैं । 27 मार्च 1948 को इनके देश को कब्जा कर लेने के पश्चात इन लोगों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया ।
बलोची भाई-बहन 27 मार्च को काला दिन मानते हैं । इसी से वे लोग प्रत्येक वर्ष 27 मार्च के दिन को ब्लैक डे के रूप में मनाते हैं । बलोचो पर पाकिस्तान ने अनेक जुल्म ढाए हैं । पाकिस्तानी सेना के लोग अपनी अवाम की सुरक्षा नहीं करके बलूचिस्तानी लोगों पर भयावह जुल्म करने का काम कर रही है । बलोच लोगों के बच्चों को उठा लिया जाता है । पाकिस्तानी सेना के द्वारा आर्गन सेल चलाए जा रहे हैं । जहां बलोच बच्चों के अंग निकाले जाते हैं । आंखें , दिल , जिगर , फेफड़ा इन सबको निकालने का काम किया जाता है । इन अंगों को फिर बिक्री किया जाता है ।
पाकिस्तानी सेना रेप सेल भी चला रही है । इन रेप सेल में बलूची बहन – बेटियों के साथ रेप किया जाता है । ऐसा लगता है कि बलूचिस्तान के ये बलूच भाई नागरिकों की किसी भी श्रेणी में नहीं आते हैं । इनके साथ जितने भी जुल्म हो रहे हैं वे काफी भयावह हैं ।
जो पाकिस्तान भारत को कश्मीरी लोगों के लिए उपदेश देता है उसको समझ लेना चाहिए कि भारत कश्मीर को हमेशा सबसे अधिक अनुदान देता रहा है । उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि वह बलोच लोगों के साथ क्या कर रहा है ?
गत 5 वर्षों से इनका स्वतंत्रता संग्राम चरम पर है । ऐसा प्रतीत होता है कि बलूचिस्तान आजाद होकर रहेगा । पिछले कई दशकों से स्वतंत्रता के लिए तड़प रहे बलूच भाइयों का साहस सच में सराहनीय है। क्योंकि इसी के कारण वह अपनी आजादी की लड़ाई को निरंतर जीवित रखे हुए हैं। बीच के काल में बलोचिस्तान 1800 से 1947 के मध्य तक ब्रिटिश के अधीन रहा । 11 अगस्त 1947 को इसे आजादी दी गई । इस दिन को बलूच लोग अपना स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं ।
दुर्भाग्य रहा बलूचिस्तान को ब्रिटिश से आजादी मिलने के 7 माह कुछ दिन बाद ही इसे पाकिस्तान ने कब्जा कर अपना गुलाम बनाने जैसा कुकृत्य किया । पाकिस्तान जिसका निर्माण ही 14 अगस्त 1947 को हुआ था उसने केवल 8 माह बाद ही बलूचिस्तान को कब्जा करने का काम किया । बलूचिस्तान के लोगों की अपनी भाषा है — पश्तो , रुकसानी , बरोही , मकरानी , सिंधी , सरायकी कुछ और भी हैं , छोटे-छोटे दो भूभाग में और साथ ही पंजाबी मिक्स भाषा भी एक छोटे से इलाके में है ।
हम लोग बलोच लोगों को उनकी आज़ादी की लड़ाई में नैतिक समर्थन दे रहे है । हमने हिन्द बलोच फोरम नामक एक संगठन भी बनाया है । बीच – बीच मे कार्यक्रम भी लिए जाते है ।
आइए , अब जानते हैं मां हिंगलाज भवानी के मंदिर के बारे में । बलूचिस्तान में अनेक मंदिर हैं बड़ा मंदिर , देवी पार्वती मंदिर , लाल मंदिर , पुराना शिव मंदिर , आर्य समाज मंदिर , हरीसार देवता मंदिर , झूलेलाल मंदिर बेला , हिंदू मंदिर , भगवान राम मंदिर एवं शक्तिपीठ हिंगलाज माता का मंदिर आदि ।
इन मंदिरों का आज भी वहां विद्यमान होना यह दर्शाता है कि बलोची लोगों के पूर्वज हिंदू ही थे ।
बलूचिस्तान स्थित हमारे 52 शक्तिपीठों में से एक मां हिंगलाज भवानी के मंदिर को बलोच नानी मां का मंदिर कहते हैं । आज भी इस मंदिर की साफ-सफाई , पूजा अर्चना अपने बलोच भाई बहन कर रहे हैं । यह मंदिर अति प्राचीन है । हजारों वर्षो से यहां साल में एक बार मेला भी लगता है ।
शक्तिपीठ मां हिंगलाज भवानी के मंदिर में दर्शन करने हेतु हम सभी को अधिकाधिक संख्या में जाना चाहिए । वहां जाने के लिए सबसे आवश्यक चीज है कि सबसे पहले बलोचिस्तान को आजाद करवाने का काम किया जाए ।
बलूचिस्तान के लोग अपनी आजादी की लड़ाई वर्षों से लड़ रहे हैं , हम लोगों को उनका नैतिक समर्थन करना चाहिए । हिंद बलोच फोरम जमशेदपुर इस प्रकार का समर्थन करने का काम गत 2 वर्षों से कर रहा है ।इस संस्था की बाकायदा कई मीटिंग भी हो चुकी है । माननीय प्रधानमंत्री जी को ज्ञापन देने का काम भी स्थानीय उपायुक्त के माध्यम से किया जा चुका है । अखबारों में भी काफी समाचार आते रहे हैं । बलोच लोगो के प्रोटेस्ट अमेरिका , लंदन , फ्रांस एवं भारत इन सब स्थानों में हुए है और आगे भी हो रहे हैं । जगह-जगह से आवाजें उठ रही हैं ।
विश्व जनमत को बलूचिस्तान की आजादी के लिए तैयार करने का काम हम सभी को अवश्य ही करना चाहिए । जिससे बलूचिस्तान शीघ्र आजाद हो सके और इसके बाद हम सभी मां हिंगलाज भवानी के दर्शन को जा सकें ।
हमारा संयुक्त राष्ट्र और सभी वैश्विक संगठनों से भी अनुरोध है कि वह भी बलोच लोगों के साथ हो रहे अन्याय का संज्ञान लें और उन्हें न्याय दिलाने के लिए अपनी ओर से पाकिस्तान की सरकार पर उचित दबाव बनाकर उनकी स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त करें।

धर्म चंद्र पोद्दार
महासचिव
हिंद बलोच फोरम जमशेदपुर
मो न 9934167977

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