कोरोनावायरस : आज हमें अशोक नहीं चाणक्य चाहिए , हमें गांधी नहीं सुभाष बोस और सरदार पटेल जैसा नेतृत्व चाहिए , नए खतरों से निपटने को तैयार रहे देश

पाठकों की सेवा में यह लेख हम दैनिक जागरण से साभार लेकर प्रस्तुत कर रहे हैं

पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है

[ प्रकाश सिंह ]: आज देश में तमाम लोग टीवी पर महाभारत देख रहे हैं। महाभारत आज के युग में भी प्रासंगिक है। उसमें जिन घटनाओं का भी उल्लेख है वे आज भी किसी न किसी रूप में हमें देखने को मिलती हैं। यदि यह कहा जाए कि भारत पर एक और महाभारत के बादल मंडरा रहे हैं तो शायद बहुत से लोग चौंकेंगे, पर यह वास्तविकता है और इससे मुख मोड़ना उचित नहीं होगा। कहा जाता है कि कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती। अगर आप दुम को एक पाइप में डाल दीजिए और कुछ महीने बाद उसे निकालें तो भी दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी। पाकिस्तान का आतंकवाद से जुड़ाव भी कुछ ऐसा ही है। कितना भी अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़े, अमेरिका का दबाव हो, यूरोपीय देशों का दबाव हो, परंतु पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। सभी देश कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं उधर पाक आतंकवाद को हवा दे रहा आज जब सारा विश्व कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 महामारी से त्रस्त है और सभी देश इस महामारी से लड़ने में जूझ रहे हैं तब ऐसी परिस्थिति में भी पाकिस्तान आतंकवाद को हवा दे रहा है। हाल में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनका उल्लेख करना उचित होगा। पहली घटना 25 मार्च को हुई जब कुछ आतंकवादियों ने काबुल में गुरुद्वारा हर रायसाहब पर हमला किया और 25 सिखों की हत्या कर दी। इस घटना की इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवांट यानी आइएसआइएल ने जिम्मेदारी ली। इसे आइएसआइएस के नाम से भी जानते हैं। उल्लेखनीय है कि इस घटना को अंजाम देने वाले आतंकवादियों में केरल के कासरगोड का एक भारतीय नागरिक मोहसिन भी शामिल था। दूसरी घटना कश्मीर के केरन सेक्टर में 5 अप्रैल को हुई। इसमें दुर्भाग्य से भारत की स्पेशल फोर्सेज के पांच कमांडो वीरगति को प्राप्त हुए। पांच आतंकवादी भी इस घटना में मारे गए। कहा जाता है कि इसमें एकदम आमने-सामने की लड़ाई हुई। इन दोनों घटनाओं से स्पष्ट है कि पाकिस्तान बार-बार आतंकी हमले करता और कराता रहेगा। भारतीय प्रतिष्ठान या नागरिक जहां भी हों, अफगानिस्तान या कश्मीर में, वह हमला करने से नहीं हिचकेगा।  पाकिस्तान ने 7,600 आतंकवादियों की सूची से 3800 नाम हटा दिए हैं हाल में यह भी समाचार आया कि पाकिस्तान ने 7,600 आतंकवादियों की सूची से 3800 नाम हटा दिए हैं।स्पष्ट है कि पाकिस्तान यह नहीं चाहता कि सूची से जिन आतंकियों के नाम हटाए गए हैं, उन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई कार्रवाई हो। यह कवायद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की आंखों में धूल झोंकने का एक भोंडा प्रयास है। वैश्विक स्तर पर जेहादी आतंक से खतरा पाकिस्तान से जो खतरे हैं, वे तो अपनी जगह हैं ही। उससे भी ज्यादा खतरा वैश्विक स्तर पर जेहादी आतंक से होने वाला है। इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए संगठन जुनदूल खिलाफा अल हिंद ने अपनी पत्रिका ‘वॉयस ऑफ हिंद’ के 24 फरवरी के अंक में एक लेख भारतीय मुसलमानों को संबोधित करते हुए लिखा है कि वे इस्लामिक स्टेट के राजनीतिक दर्शन से जुड़ें और इस्लाम के लिए संघर्ष करने को तैयार हो जाएं। अलकायदा भी अपना ध्यान अब अफगानिस्तान से हटाकर कश्मीर पर केंद्रित करना चाहता है। उसका आकलन है कि दोहा (कतर) में 29 फरवरी को अमेरिका-तालिबान के बीच हुए समझौते के बाद अब अमेरिका धीरे-धीरे अफगानिस्तान से चला जाएगा। ऐसी परिस्थिति में यह संगठन अपनी अतिरिक्त जनशक्ति को कश्मीर में विद्रोह को और भड़काने के लिए लगा सकता है। जिहाद’ का नाम बदलकर ‘नवा-ए-गजवातुल हिंद’ कर दिया एक्यूआइएस यानी अल कायदा इन इंडियन सब कंटिनेंट ने अपनी उर्दू पत्रिका ‘नवा-ए-अफगान जिहाद’ का नाम बदलकर ‘नवा-ए-गजवातुल हिंद’ कर दिया है। इस पत्रिका ने अपने 21 मार्च के अंक में कश्मीर पर विस्तार में लिखते हुए कहा है कि आने वाले दिनों में अल कायदा के जिहाद के संघर्ष का केंद्र कश्मीर होगा। पत्रिका ने यह भी घोषणा की है कि दक्षिण एशिया में जिहाद अपने मकसद में कामयाब होगा। लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों ने तो एक तरह से भारत में आतंकवाद फैलाने का ठेका ही ले रखा है। हम किसी भी दृष्टिकोण से देखें-पाकिस्तान द्वारा आतंकी घटनाएं करना, इस्लामिक स्टेट द्वारा भारतीय मुसलमानों को सरकार के विरुद्ध लामबंद करना या अलकायदा द्वारा भारत के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का बिगुल बजाना-भारत के लिए एक खतरनाक चुनौती का संकेत है। क्या हम इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं? सवाल यह है कि क्या हम इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं? पाकिस्तान और उसके कुख्यात आतंकी संगठनों की एक कौरवी सेना हमारी सीमा पर एकत्रित होने जा रही है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इस सेना को चीन का भी परोक्ष समर्थन प्राप्त होगा। एक और महाभारत न हो तो बहुत ही अच्छा होगा, परंतु यदि ऐसा होता है तो उसके लिए तैयार रहना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है। अतीत में अदूरदर्शिता के कारण हम कई बार धोखा खा चुके हैं। विदेशी आक्रांता पश्चिमी सीमाओं से आते रहे और हमारे आपसी मतभेदों का लाभ उठाते हुए उन्होंने यहां कहर बरपाया। एक भगोड़ा जिसे अपने देश से निकाल दिया गया था, भटकता हुआ हिंदुस्तान आता है और यहां एक साम्राज्य स्थापित कर लेता है। कुछ व्यापारी यहां मसाले बेचने आते हैं और छल-कपट से पैठ बनाते हुए अपना राज्य स्थापित कर लेते हैं। ऐसे इतिहास की पुनरावृत्ति हमें किसी भी सूरत में नहीं होने देनी है। पाकिस्तान के विरुद्ध हमें अपनी नीति पर नए सिरे से सोचना पड़ेगा पाकिस्तान के विरुद्ध हमें अपनी नीति पर नए सिरे से सोचना पड़ेगा। वहां तमाम विघटनकारी शक्तियां काम कर रही हैं। उन पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के अंतर्गत जितना दबाव बनाया जा सके, बनाया जाए। चीन से निपटने के दो रास्ते हैं। एक तो यह कि हम उसके आर्थिक मकड़जाल से बाहर निकल आएं और भारतीय बाजार के दरवाजे जहां तक हो सके, चीनी आयात के लिए कम से कम खुले रखे जाएं। दूसरा हमें जापान और वियतनाम से एक ऐसा सामरिक समझौता करना चाहिए जिससे किसी एक देश पर आक्रमण, तीनों पर आक्रमण माना जाए। चुनौती भरे हालात में देश को अपनी आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करते हुए सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता होगी। आज हमें युधिष्ठिर की नहीं, बल्कि भीम-अर्जुन जैसे योद्धाओं और कृष्ण जैसे मार्गदर्शक की आवश्यकता है। आज हमें अशोक नहीं, वरन चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की आवश्यकता है। आज हमें महात्मा गांधी नहीं, सुभाष बोस और सरदार पटेल जैसा नेतृत्व चाहिए। ( लेखक उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक हैं )दैनिक जागरण से साभार

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