Categories
अन्य

जब हिंदू महासभा और आर्य समाज ने तबलीगी जमात के कुत्सित योजनाओं पर फेरा था पानी

मनीष पाण्डेय

जिस तरह तबलीगी जमात द्वारा एक षड्यंत्र के तहत कोरोना संक्रमित वायरस से पीड़ित अपने लोगों को संपूर्ण विश्व में विशेषकर भारत में फैलाया गया उसे तबलीगी की भूल अथवा लापरवाही समझ लेना मात्र हमारी नासमझी ही होगी, जिस तरह देश के विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ने तबलीगी द्वारा किए गए इस कुकृत्य को उनकी भूल और लापरवाही का नतीजा बताया है उन्हें न वास्तविकता का भान है और ना ही परदे के पीछे का वह खेल जो तबलीगी वर्षों से धर्म की आड़ लेकर खेलती चली आ रही है, तबलीगी के इस षड्यंत्र भरे खेल को समझने के लिए हमें इसकी स्थापना इसके उद्देश्य इसकी गतिविधि को समझना बेहद आवश्यक है स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले वर्ष 1926 जब तबलीगी जमात की स्थापना मौलाना मोहम्मद इलियास कांधवली द्वारा की गई थी स्थापना का उद्देश्य बहुत ही स्पष्ट था यह वह समय था जब एक और तो ईसाई मिशनरियों द्वारा वहीं दूसरी ओर मुस्लिम मुस्लिमों द्वारा भी बड़ी संख्या में हिंदुओं को बरगला कर उनका धर्म परिवर्तन करा कर ईसाई और इस्लाम पंथ में परिवर्तन कराया जा रहा था तबलीगी जमात के लोग इस धर्म परिवर्तन के कार्य में जोर-शोर से लगे हुए थे किंतु उनकी परेशानी यह थी कि बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तित हो रहे हिंदू वापस हिंदू धर्म में भी लौट रहे थे और इस्लाम पंथ में रहने के बावजूद हुए हिंदू पूजा पाठ छोड़ने को तैयार नहीं थे वे हिंदू जो हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे उनकी शुद्धीकरण और घर वापसी कराने का कार्य हिंदू महासभा बड़े जोर शोर से कर रही थी आर्य समाज भी उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस पुनीत कार्य में बराबर लगी हुई थी, 1922 में स्वामी श्रद्धानंद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने 1923 में काशी में हिंदू महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया गया महामना पंडित मदन मोहन मालवीय लाला लाजपत राय और स्वामी श्रद्धानंद के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन में सनातन विचारधारा को मानने वाले तथा अन्य हिंदू धर्मावलंबीयो को सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था इसी सम्मेलन में मुसलमानों द्वारा बड़ी संख्या में हिंदुओं के धर्म परिवर्तन का मुद्दा भी बड़े जोर शोर से उछला उपस्थित सभी व्यक्तियों की एक स्वर में यह राय थी कि मुसलमानों द्वारा भारी संख्या में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा कर जिस तरह इस्लाम पंथ में परिवर्तित किया जा रहा है उसको रोकने के लिए हिंदू महासभा एक सशक्त कदम उठा सकती है और इसकी बागडोर हिंदू महासभा को संभालने चाहिए , तब समवेत स्वर में इस कार्य के लिए महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी श्रद्धानंद को धर्म परिवर्तन के विरुद्ध शुद्धि आंदोलन व घर वापसी का आंदोलन चलाने हेतु बागडोर सौंपी गई तदोपरांत पूरे देश में भारी संख्या में शुद्धि आंदोलन व घर वापसी आंदोलन चलाए जाने लगा, 1922 के प्रारंभ में अर्थात 31 दिसंबर 1922 में मेवाड़ में शाहपुरा के राजाधिराज सर नाहर सिंह जी केसीआई की अध्यक्षता में क्षत्रिय महासभा की मीटिंग हुई 1930 के पैर में हिंदू समाज ताहिर समाचार पत्र में एक समाचार पर यह समाचार प्रकाशित हुआ कि 4:30 लाख मुसलमान राजपूतों ने हिंदुत्व ग्रहण करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है और क्षत्रिय महासभा ने उस पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है इसे सुनकर मुसलमान उत्तेजित हो उठे सभी मुसलमान एक बैनर के तले आकर सभा करने लगे पहली मीटिंग लाहौर जिले के पट्टी गांव में हुई इस सभा में देवबंद के मौलवियों ने भयंकर विद्वतापूर्ण भाषण देते हुए हिंदुओं को धमकाते हुए कहा कि “यदि हिंदुओं ने इस्लाम में दीक्षित मलकान राजपूतों को शुद्ध करने का प्रयत्न किया तो हिंदू मुस्लिम एकता चीर चीर करके भंग कर दी जाएगी” उस समय यह समाचार अमृतसर के एक दैनिक वकील में 17 जनवरी 1923 के अंक में प्रकाशित हुआ था तब हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी श्रद्धानंद ने हिंदू धर्म के विभिन्न मतों सनातन धर्म आर्य समाज सिख और जैन संस्थाओं के लगभग 50 प्रतिनिधियों एवं उनके सदस्यों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि सिर्फ मलकान राजपूत ही नहीं बल्कि मूला जाट गुर्जर आदि भी बड़ी संख्या में शुद्ध होने के लिए प्रयत्नशील है इसके लिए एक अलग से संगठन करने का विचार किया गया अंत में स्वामी श्रद्धानंद द्वारा सुझाए गए “भारतीय हिंदू शुद्धि सभा” जिसके अंतर्गत 4:50 लाख मुसलमान राजपूत हिंदुओं को हिंदू धर्म में वापस लाकर उनका शुद्धिकरण कर घर वापसी किया गया इसी वर्ष के फरवरी माह में 25 फरवरी को पहला जत्था शुद्ध किया गया यह मलखान ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित रेवा गांव के थे जो आगरा से 13 मील की दूरी पर स्थित है और उसी शाम को कुठाली गांव में मलकानों को शुद्ध उनकी घर वापसी की गई बताते हैं कि शुद्धीकरण की इस प्रक्रिया में मकानों की संख्या पहले जत्थे में लगभग 60,000 थी उसके बाद तो पूरे देश में शुद्धिकरण और घर वापसी का एक बड़ा अभियान चल पड़ा ,इस विषय पर विस्तारपूर्वक अग्रलेख फिर कभी फिलहाल यह जान लेना आवश्यक है यह वही देवबंदी से जुड़े मुसलमान थे जिन्होंने हजारों लाखों हिंदुओं को जबरन अथवा प्रलोभन देकर इस्लाम पंथ ग्रहण करवा दिया था ऐसे में 1926 में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए और पुन: हिंदुओं को इस्लाम में वापस लाने के लिए धर्म के नाम पर उन देवबंदी से जुड़े मुसलमानों द्वारा जिसका संस्थापक देवबंदी मौलाना मोहम्मद इलियास कांधवली था,उसी के द्वारा 1926 में तब्दीली जमात की स्थापना की गई, कहने को तो तब्दीली जमात इस्लाम मजहब के प्रचार के लिए बनाई गई थी किंतु मूल उद्देश्य हिंदुओं का जबरन प्रलोभन देकर धर्मांतरण करना तथा कालांतर में पूरे विश्व में इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देना ही रहा, 17 फरवरी वर्ष 2011 में विकिलीक्स की रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि तब्दीली जमात और अलकायदा के बीच बड़े प्रगाढ़ संबंध हैं विकिलीक्स ने यह दावा भी किया कि भारत में अलकायदा के नेटवर्क को मजबूत करने हेतु तब्दीली जमात अलकायदा के लोगों को पैसा व वीजा उपलब्ध करवा रहा है वही वर्ष 2016 18 जनवरी को मेवात में अलकायदा के दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया था दोनों आतंकवादियों का संबंध में तब्दीली जमात के से था National Investigation Agency ने भी अदा वाकिया की तब्दीली जमात के अंतर्गत बनने वाली मस्जिदों में आतंकवादी हाफिज सईद का पैसा लगा हुआ है उपयुक्त उदाहरणों व पुख्ता सबूतों से स्पष्ट हो जाता है तब्दीली जमात द्वारा अपने आप को यह दिखाना कि वह धर्म प्रचार के लिए बनी हुई है पूरी तरह झूठा हुआ बुनियाद है वास्तव में तबलीगी जमात इस्लामिक आतंकवाद का ही एक रूप है जो इस्लाम की आड़ लेकर अपनी जिहादी मानसिकता को पूरे विश्व में लागू करने पर तुली हुई है कोरोना वायरस को लेकर जिस तरह झूठ पर झूठ तबलीगी जमात के लोगों द्वारा बोला गया ,उनके प्रमुख मोहम्मद साद, द्वारा जहरीले भाषाओं का प्रयोग किया गया, संक्रमित जमात के लोगों द्वारा जानबूझकर सड़कों पर थूका गया, और अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों के साथ असभ्य बर्ताव किया गया ,अश्लील इशारे किए गए वह साफ-साफ दर्शाता है, की तब्दीली जमात के जाहिल और जिहादी मानसिकता के लोग कोरोना वायरस के वे विष पुरुष है जो पूरे विश्व का समूल नाश करने पर तुले हुए हैं,

Comment:Cancel reply

Exit mobile version