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अमेरिका और यूरोप के स्टॉक मार्केट पर चीन का होता जा रहा है कब्जा , कहीं यह तीसरे विश्व युद्ध में चीन की पहली विजय तो नहीं ?

New Delhi, : वामी देश चीन का हरामीपन आपने समझा कि नही ? कोरोना वायरस तीसरे विश्वयुद्ध का यलगार है । यह पारम्परिक हथियारों से नही लड़ा जा रहा है । इस बार का हिटलर शी जिनपिंग है । वह आजीवन चीन का राष्ट्रपति बन बैठा है । वह पूरी दुनिया पे राज करना चाहता है । इसके लिए उसने अपने देश के वुहान में , याद रखिये केवल वुहान में हजार पांच सौ लोगो को कोरोना वायरस से मरवाकर यह जताना चाहा कि वह इस वायरस के आगे बेबस है । इसके साथ ही इसने वायरस संक्रमित हजारों चीनियों को दुनियाभर में भेज दिया । उसके अपने एजेंट या कहें कि स्लीपर सेल एक्टिव हो गए । इटली के फ्लोरेंस शहर का मेयर से लेकर झारखंड के बुंडू के मदरसे मस्जिद में बरामद चीनी मुसलमान इसके सबूत है ।

फ्लोरेंस के वामपंथी मेयर ने तो कोरोना पीड़ितों को गले लगाओ अभियान चलाया । आज इटली तबाह हो गया । भारत मे भी उइगर मुसलमानों को कोरोना संक्रमित कराकर भारतीय मदरसों और मस्जिदों में भेजे जाने की खबर है । भारतीय मुसलमानों को धर्म के नाम पर इन उइगर मुसलमानों से सहानुभूति है जिसका फायदा उठाकर इन संक्रमित उइगर मुसलमानों को चलता फिरता मानव बम बना दिया गया । जर्मनी , अमेरिका , फ्रांस सहित सभी ताकतवर देशों को कोरोना से त्रस्त कर दिया गया है । शी जिनपिंग को इस तीसरे विश्व युद्ध मे अपने साथ कोई जुड़ा हुआ लगता है तो वह है रूस और उत्तर कोरिया। रूस में महज 600 के आसपास कोरोना प्रभावित लोग है जिन्हें ठीक कर कोरोना पर लगभग काबू पा लिया गया है ।

संभावना है कि जिस एंटीडोट को चीन ने तैयार किया वही रूस को भी दिया गया । उत्तरी कोरिया भी चीन का मित्रदेश है । वहां के तानाशाह ने भी अपने देश मे आश्चर्यजनक रूप से कोरोना पर काबू पा लिया । जब पूरे विश्व का स्टॉक मार्केट धराशायी हो रहा था तो कोरोना के जनक चीन का स्टॉक मार्केट बम बम था । आप याद रखिये ये वामी तानाशाह कितना हरामी है । उसने खुद को आजीवन राष्ट्रपति घोषित कराया क्योंकि उसका मंसूबा पूरे विश्व मे राज करने का है हिटलर की तरह । हमारे देश के वामी लोकशाही की बात करते है लेकिन उनकी अपने बाप दादा चीन के इस तानाशाही व्यवहार की निंदा करने में गांव फटती है ।

इस तानाशाह ने अपने जैसे पागल देशों को चुना । नार्थ कोरिया और रूस उनके साथ है । अमेरिका , जर्मनी , फ्रांस , इटली यूरोप पूरी तरह से त्रस्त है । अमेरिका और यूरोप के स्टॉक मार्केट पर चीन का कब्जा होता जा रहा है । यह इस तीसरे विश्वयुद्ध में चीन की पहली विजय है । अब चीन के इस षड्यंत्र को दुनिया जान चुकी है । अब दुनियाभर के देशों को तय करना है कि चीन के साथ क्या किया जाए । यह केवल 21 दिन का लॉक डाउन भर नही बल्कि तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत है । याद रखिये इसमें शी जिनपिंग के नापाक इरादों को फलीभूत करने में कन्हैया खालिद जैसे कमीने वामी स्लीपर सेल के रूप में काम करेंगे । अगर इस युद्ध मे देश के अस्तित्व को बचाना है तो केवल इस्लामिक आतंकी नही इन वामी आतंकियों का भी बंदोबस्त करना होगा ।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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