औरंगजेब इतिहास की दृष्टि में नायक या खलनायक

ऑड्रे ट्रश्के (Audrey Truschke) अमरीका के विश्वविद्यालय में पढ़ाती है। आपने औरंगज़ेब को लेकर एक पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है Aurangzeb The Man and the Myth . इस पुस्तक में लेखिका ने औरंगज़ेब को सेक्युलर, दयालु, प्रजाहितेषी आदि सिद्ध करने का असफल प्रयास किया हैं। लेखिका को ज्ञात है कि भारतियों को उनका इतिहास मार्क्सवादी चश्मे से पढ़ाया जाता है। इसलिए उनके सामने सफ़ेद जुठ भी बोलो तो स्वीकार कर लेते है। मगर औरंगज़ेब के विषय में सर जदुनाथ सरकार ने A Short History Of Aurangzeb, श्री राम शर्मा ने The Religious Policy of the Mughals, इलियट एंड डौसन ने History of India as told by its own Historians, हरी राम गुप्ता ने History of the Sikhs, फ्रांकोइस गौटिएर द्वारा बीकानेर आर्काइव्ज में खोजे गए फरमान जैसे इतिहासकारों ने औरंगज़ेब के विषय में इतनी प्रामाणिक जानकारी पहले ही बता दी है कि लाख छुपाये भी वह छुप नहीं सकती। इस लेख में उसी जानकारी का संक्षिप्त वर्णन गौटिएर महोदय की कलम के माध्यम से किया गया है।

सत्य तो इतिहास है और इतिहास का आंकलन अगर औरंगजेब के फरमानों से ही किया जाये तो निष्पकता उसे ही कहेंगे। फ्रेंच इतिहासकार फ्रैंकोइस गौटियर (Francois Gautier) ने औरंगजेब द्वारा फारसी भाषा में जारी किये गए फरमानों को पूरे विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर सभी छदम इतिहासकारों के मुहँ पर ताला लगा दिया। जिसमे हिन्दुओं को इस्लाम में दीक्षित करने और हिन्दू मंदिरों को तोड़ने की स्पष्ट आज्ञा थी। ध्यान दीजिये औरंगजेब ने “आलमगीर” बनने की चाहत में अपनी सगे भाइयों की गर्दन पर छुरा चलाने से लेकर अपने बूढ़े बाप को जेल में डालकर प्यासा मारा था। तो उससे हिन्दू प्रजा की सलामती की इच्छा रखना बेईमानी होगी।

औरंगजेब द्वारा हिन्दू मंदिरों को तोड़ने के लिए जारी किये गए फरमानों का कच्चा चिट्ठा

1. 13 अक्तूबर,1666- औरंगजेब ने मथुरा के केशव राय मंदिर से नक्काशीदार जालियों को जोकि उसके बड़े भाई दारा शिकोह द्वारा भेंट की गयी थी को तोड़ने का हुक्म यह कहते हुए दिया कि किसी भी मुसलमान के लिए एक मंदिर की तरफ देखने तक की मनाही है। और दारा शिको ने जो किया वह एक मुसलमान के लिए नाजायज है।

2. 12 सितम्बर 1667- औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली के प्रसिद्द कालकाजी मंदिर को तोड़ दिया गया।

3. 9 अप्रैल 1669 को मिर्जा राजा जय सिंह अम्बेर की मौत के बाद औरंगजेब के हुक्म से उसके पूरे राज्य में जितने भी हिन्दू मंदिर थे, उनको तोड़ने का हुक्म दे दिया गया और किसी भी प्रकार की हिन्दू पूजा पर पाबन्दी लगा दी गयी। जिसके बाद केशव देव राय के मंदिर को तोड़ दिया गया और उसके स्थान पर मस्जिद बना दी गयी। मंदिर की मूर्तियों को तोड़ कर आगरा लेकर जाया गया और उन्हें मस्जिद की सीढियों में गाड़ दिया गया और मथुरा का नाम बदल कर इस्लामाबाद कर दिया गया। इसके बाद औरंगजेब ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर का भी विध्वंश कर दिया।

4. 5 दिसम्बर 1671 औरंगजेब के शरीया को लागु करने के फरमान से गोवर्धन स्थित श्री नाथ जी की मूर्ति को पंडित लोग मेवाड़ राजस्थान के सिहाद गाँव ले गए। जहाँ के राणा जी ने उन्हें आश्वासन दिया की औरंगजेब की इस मूर्ति तक पहुँचने से पहले एक लाख वीर राजपूत योद्धाओं को मरना पड़ेगा।

5. 25 मई 1679 को जोधपुर से लूटकर लाई गयी मूर्तियों के बारे में औरंगजेब ने हुकुम दिया कि सोने-चाँदी-हीरे से सज्जित मूर्तियों को जिलालखाना में सुसज्जित कर दिया जाये और बाकि मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढियों में गाड़ दिया जाये।

6. 23 दिसम्बर 1679 औरंगजेब के हुक्म से उदयपुर के महाराणा झील के किनारे बनाये गए मंदिरों को तोड़ा गया। महाराणा के महल के सामने बने जगन्नाथ के मंदिर को मुट्ठी भर वीर राजपूत सिपाहियों ने अपनी बहादुरी से बचा लिया।

7. 22 फरवरी 1980 को औरंगजेब ने चित्तोड़ पर आक्रमण कर महाराणा कुम्भा द्वाराबनाएँ गए 63 मंदिरों को तोड़ डाला।

8. 1 जून 1681 औरंगजेब ने प्रसिद्द पूरी का जगन्नाथ मंदिर को तोड़ने का हुकुम दिया।

9. 13 अक्टूबर 1681 को बुरहानपुर में स्थित मंदिर को मस्जिद बनाने का हुकुम औरंगजेब द्वारा दिया गया।

10. 13 सितम्बर 1682 को मथुरा के नन्द माधव मंदिर को तोड़ने का हुकुम औरंगजेब द्वारा दिया गया। इस प्रकार अनेक फरमान औरंगजेब द्वारा हिन्दू मंदिरों को तोड़ने के लिए जारी किये गए।

हिन्दुओं पर औरंगजेब द्वारा अत्याचार करना

2 अप्रैल 1679 को औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया गया जिसका हिन्दुओं ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्वक विरोध किया परन्तु उसे बेरहमी से कुचल दिया गया। इसके साथ-साथ मुसलमानों को करों में छूट दे दी गयी जिससे हिन्दू अपनी निर्धनता और कर न चूका पाने की दशा में इस्लाम ग्रहण कर ले। 16 अप्रैल 1667 को औरंगजेब ने दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने से और त्यौहार बनाने से मना कर दिया गया। इसके बाद सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू कर्मचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम कर्मचारियों की भरती का फरमान भी जारी कर दिया गया। हिन्दुओं को शीतला माता, पीर प्रभु आदि के मेलों में इकठ्ठा न होने का हुकुम दिया गया। हिन्दुओं को पालकी, हाथी, घोड़े की सवारी की मनाई कर दी गयी। कोई हिन्दू अगर इस्लाम ग्रहण करता तो उसे कानूनगो बनाया जाता और हिन्दू पुरुष को इस्लाम ग्रहण करनेपर 4 रुपये और हिन्दू स्त्री को 2 रुपये मुसलमान बनने के लिए दिए जाते थे। ऐसे न जाने कितने अत्याचार औरंगजेब ने हिन्दू जनता पर किये और आज उसी द्वारा जबरन मुस्लिम बनाये गए लोगों के वंशज उसका गुण गान करते नहीं थकते हैं।

एक मुहावरा है कि एक जूठ को छुपाने के लिए हज़ार जूठ बोलने पड़ते हैं। औरंगज़ेब को न्यायप्रिय घोषित करने वालों को यथोचित उत्तर देने के लिए हिन्दुओं को अपने स्वाध्याय और लेखनी दोनों को बढ़ावा देना चाहिये।

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