मोदी जी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के अवसर पर कविता

वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।
मोदी जैसा पुत्र मिला, उदित हुए हैं पुण्य।।

लोकतंत्र की महिमा न्यारी, दी भारत की डोर।
दिव्य भव्य भारत का सपना, ले चला दैव की ओर।।
सवा अरब लोगों के मोदी, हैं बन गये संकल्प।
वीर लोग नही ढ़ंूढ़ा करते, विश्व में कभी विकल्प।।
मां भारती के बने सारथि, उदित हुए कोई पुण्य…
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।

यह भूमि है राम-कृष्ण, राणा और शिवा की।
छत्रसाल, बैरागी, नलवा, शान है जिनकी बांकी।।
स्वदेश, स्वभाषा, स्वधर्म और खातिर स्वतंत्रता की।
विदेशी शासन सत्ता के विरूद्घ, सदा रहे जो बागी।।
आज उसी परपंरा में माता ने, कर लिया तुमको गण्य….
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।

हम हिंदू, हिंदी हमारी भाषा, और देश है हिन्दुस्थानी।
संघर्षों की गाथा में, सचमुच कोई नही हमारा सानी।।
पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा, क्या तेलगू मलयाली।
कीर्तिगान में मस्त हुए सब, अब फटी भोर की लाली।।
श्रेय मिला गुजरात धरा को, हो गयी सबको प्रणम्य…..
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।

छद्मी नीति, छद्मी नेता, और छद्म हुआ व्यवहार।
हिन्दुत्व के सब बने विनाशक, छद्म करें व्यापार।।
अगड़े-पिछड़े ऊंच नीच में, बांटा सर्व समाज।
संविधान की हत्या करके, साधे सारे काज।।
संयोग नही सौभाग्य हमारा, तुम नही हो परिस्थिति जन्य…
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।

सरदार पटेल आदर्श आपके, मां के सच्चे लाल।
उनके सपने साकार करो तुम, बन भारत के भाल।।
जो लेकर चलता साथ सभी को, नेता वही कहाता है।
मानव मानव में जो भेद करे, वो कम्युनल’ कहलाता है।।
पुरातन विधान ये भारत का है, बनाओ इसे अग्रगण्य….
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।

संस्कार प्रबल दिये दिखाई, जब संसद पर नमतस्तक थे।
आंखों में आंसू बने आपकी, अमर कांति के दस्तक थे।।
अहंकार शुन्य हृदय ने सबको, कर दिया भाव विभोर।
तब पुष्प वर्षा की देवों ने, और पिघले हृदय कठोर।।
हिंदू राजनीति’ को भारत में, कर दिया अनुमन्य……
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।

क्रांतिवीर सावरकर और, देवता स्वरूप परमानंद।
दयानंद के पगचिन्हों पर, चल बनना विवेकानंद।।
हिंदू गौरव की ध्वजा लेकर, दिव्य बनाओ आभा।
हिंदू’ राष्ट्र के महा’ तपस्वी दे रही आशीष सभा’।।
राकेश’ करता वंदन तुमको, बाबा नंदू नंदन……
वीर प्रस्विनी भारत माता, सचमुच हो गयी धन्य।।
-राकेश कुमार आर्य

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