भ्रष्टाचार मिटाना हो तो

 

राजनीति कितनी गंदी है, नेता कितने गंदे हैं।
तन के उजले मन के काले, काले इनके धंधे हैं।।
इक दूजे पर सारे नेता, उंगली खूब उठाते हैं।
खुद को समझें धुला दूध का, और को भ्रष्ट बताते हैं।।
बुढिय़ा गुडिय़ा सांप नेवला, सब कुछ भाषण में बकते।
कुत्ता कुतिया हाथी गदहा, कहने से भी ना थकते।।
गंदी बोली भाषा ही अब, नेताओं का आभूषण।
राम नही अब राजनीति में, हर इक रावण खरदूषण।।
दुष्ट भ्रष्ट नीच निकम्मे, सब नेता बन जाते हैं।
पढ़े लिखों पर करें हुकूमत, सबको नाच नचाते हैं।
प्रश्न है अब सत्ता में अच्छे, लोग कहां से लाओगे।
गधों को गाय बनाओगे कि खुद नेता बन जाओगे।।
गाफिल स्वामी कहें हमारा, एक निवेदन सुन लेना
वेतन भत्ते कभी न ले जो, ऐसा नेता चुन लेना।
भ्रष्टाचार मिटाना हो तो, मांग करो कानून बने।
देश भक्त औ जन सेवी को, मिले लंगोटी और चने।।

गाफिल स्वामी

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