भावी पीएम करेंगे संसद को संबोधित

नरेन्द्र मोदी को ब्रिटेन की पार्लियामेंट को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। साथ ही अमेरिका ने भी संकेत दिया है कि वह भारत में जिसकी भी सरकार बनेगी उसी के साथ काम करने के लिए तैयार है।
दोनों संकेत स्वतंत्रता दिवस की 66वीं वर्षगांठ के अवसर पर मिले हैं, इन्हें निश्चित ही शुभसंकेत कहा जाएगा। बात साफ है कि विश्व की शक्तियों की नजरों में भारत में सत्तापरिवर्तन होने का जा रहा है और सत्ता कांग्रेस के हाथ से खिसक कर मोदी के हाथों में जाती हुई दीख रहा है। इसलिए चढ़ते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका ने अपना दृष्टिकोण बदल लिया है। उन्होंने देश की जनता की नब्ज को पहचान लिया है और समय को समझ लिया है इसलिए अमेरिका वीजा देने में नरेन्द्र मोदी के लिए चाहे बेशक अभी आना कानी कर रहा हो परंतु उसने भारत में आने वाली किसी भी सरकार के साथ काम करने का संकेत देकर यह बता दिया है कि उसे भारत में मोदी भी स्वीकार्य हैं। मोदी का काम और मोदी की सोच यदि विदेशों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं तो यह उनके स्वयं के लिए और उनकी पार्टी के लिए अच्छा संकेत है।
ब्रिटिश सरकार की ओर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को ब्रिटेन का दौरा करने का न्यौता दिया गया है, इसे कुछ लोग गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया गया न्यौता देने की भूल कर रहे हैं। जबकि सच्चाई ये है कि ये न्यौता गुजरात के मुख्यमंत्री को नही अपितु भारत के भावी प्रधानमंत्री को दिया गया न्यौता है।
भारत में नरेन्द्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को दिया गया न्यौता है, इस विषय में लेबर सांसद गार्डीनर ने कहा यह निमंत्रण लेबर पार्टी और नरेन्द्र मोदी के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के बीच के पिछले कई वर्षों के संपर्क की परिणति है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि ब्रिटेन में लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी यहां नरेन्द्र मोदी से मिलने और उन्हें सुनने में दिलचस्पी रखता है। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे नेता हैं जिन्हें नजर अंदाज नही किया जा सकता। मेरा मानना है कि हम उनसे गुजरात के मुख्यमंत्री और भारत के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर संपर्क साधें।
अब जो लोग भारत के संसद में रहकर गुजरात के मुख्यमंत्री को अमेरिकी वीजा न देने की मांग अमेरिकी राष्ट्रपति से कर रहे थे और अपने राष्ट्रविरोधी कृत्यों का परिचय दे रहे थे, उन्हें ब्रिटेन और अमेरिका के दृष्टिकोण में आए परिवर्तन को समझना चाहिए। हां, मोदी को यदि देश की जनता कल को अपना नेता चुनती है और वह कोई राजनीतिक गलतियां करते हैं तो उनकी बखिया उधेड़ने का अधिकार हमारे विपक्ष के पास और सारी राजनीतिक पार्टियों के पास वैसे ही सुरक्षित रहेगा जैसे नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं के पास रहा था। राष्ट्रहित से परे जाने वाला प्रत्येक व्यक्ति या नेता आलोचना का ही पात्र होता है, और उस समय विपक्ष को अपने हथियारों पर निश्चय ही धार भी लगानी चाहिए, परंतु राष्ट्रवाद की पताका को ऊंची करने वाले और जनता में अमन कायम करने को अपना लक्ष्य मानने वाले नेता के विषय में ऐसी आलोचना से बचना चाहिए।

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