पाकिस्तान से डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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मैं ने परसों लिखा था कि मियां नवाज़ शरीफ अब पाकिस्तान के महानायक बनने जा रहे हैं और पाकिस्तान को अब दुनिया के अन्य देश भी इज्जत की निगाह से देखने लगेंगे क्योंकि पाकिस्तानी फौज ने आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कमर कस ली है। इस अभियान के कारण पाकिस्तान के सभी दलों ने सरकार का समर्थन कर दिया है, जैसा कि युद्ध के दिनों में होता है। जमाते-इस्लामी और इमरान खान की तहरीके-इंसाफ भी अब पूरा समर्थन करने लगी हैं लेकिन कल लाहौर में मामला एक दम उलट गया। सारे देश का ध्यान आतंकवाद-विरोधी अभियान से हटकर लाहौर के एक मोहल्ले मॉडल टाउन पर केंद्रित हो गया।

इस मोहल्ले में मियां नवाज़ का घर तो है ही, प्रसिद्ध जन-आंदोलनकारी डॉ. ताहिरुल कादिरी का घर भी है। कादिरी आजकल केनाडा में हैं और 23 जून को लाहौर आनेवाले हैं। उनकी सभाओं में लाखों लोग आते हैं। उन्होंने आजकल ‘पाकिस्तानी अवामी तहरीक’ नामक आंदोलन चला रखा है। कल उनके घर के सामने पुलिस ने गोलियां और लाठियां चलाईं, जिसमें आठ लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। दंगा इसलिए हुआ कि उनके घर के आस-पास उनके लोगों ने सुरक्षा के लिए कुछ बाड़ वगैरह लगा दी थीं, जिन्हें पुलिस हटा देना चाहती थी। लोगों ने इसका विरोध किया तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

इसका नतीजा क्या हुआ? आतंक के खिलाफ फौजी अभियान की खबरें हाशिए में सरक गईं। सारे विरोधी दल, जो परसों सरकार का समर्थन कर रहे थे, कल एकजुट हो गए और सरकार पर टूट पड़े। लेने के देने पड़ गए। पंजाब देश का सबसे बड़ा प्रांत है। इसके मुख्यमंत्री हैं, मियां नवाज़ के छोटे भाई शाहबाज़ शरीफ। अखबार कह रहे हैं कि बड़े भाई ने देश को राजनीतिक दृष्टि से जोड़ दिया जबकि छोटे भाई ने तोड़ दिया। शाहबाज़ को लोग ‘शोबाज़’, ‘चंगेज़ खान’ और न जाने क्या-क्या कह रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री परवेज़ इलाही उन्हें पाकिस्तान का नरेंद्र मोदी बता रहे हैं। शाहबाज़ ने अपनी पत्रकार-परिषद में बेहद दुख प्रकट किया, मारे गए लोगों के लिए 30-30 लाख रु. का मुआवज़ा घोषित किया गया और एक न्यायिक जांच कमीशन बिठा दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि मेरा ज़रा भी दोष हुआ तो मैं तुरंत इस्तीफा दे दूंगा। नेता लोग पलटवार कर रहे हैं। वे कहते हैं, यह सब ढोंग हैं। शाहबाज़ के इशारे के बिना पंजाब में पत्ता भी नहीं हिलता। डॉ. कादिरी के मुताबिक नवाज़ और शाहबाज़ ने यह खूंरेजी इसलिए करवाई है कि वे मुल्क का ध्यान फौज की कामयाबी से हटाना चाहते हैं। मॉडल टाउन की यह घटना रामलीला मैदान की घटना से भी भयंकर है। जैसे बाबा रामदेव के शिविर पर सरकारी हमले ने सोनिया-मनमोहन सरकार की कब्र खोद दी थी, वैसे ही लाहौर भी मुस्लिम लीग (नवाज़) पर अब काफी भारी पड़ेगा।

मुझे आश्चर्य हुआ था कि इस वक्त मियां नवाज़ दो दिन के लिए ताजिकिस्तान क्यों जा रहे हैं। वे यदि पाकिस्तान में होते तो शायद लाहौर खून में नहीं नहाता। पाकिस्तान के शासकों ने जनता का खून पहले भी बहाया है लेकिन वह बलूचिस्तान, सिंध और पख्तून सूबे में बहा है। देश के सबसे बड़े प्रांत के दिल में ऐसा खून पहली बार बहा है। इसके नतीजों को आंकना आसान नहीं होगा।

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