इक्कीसवीं शताब्दी शाकाहार की-5

गतांक से आगे….
किसान भली प्रकार जानता है कि उसके खेत को कितनी बार सींचना पड़ता है। किसान अंतराल से उसमें पानी देता रहता है। कोई भी फसल हो, आपको प्रतिदिन उसे नही सींचना पड़ता। किसी भी फलदार वृक्ष को भी एक निश्चित समय पर निश्चित मात्रा में ही पानी देना पड़ता है। इजराइल चारों ओर रेगिस्तान से घिरा है। वहां पानी के स्रोत बहुत कम हैं। लेकिन फिर भी अपने पड़ोसी अरब देशों की तुलना में वह अधिक अन्न उत्पन्न करता है। उसका कारण है कि वहां के कृषि निष्णात जानते हैं कि किस पौधे और झाड़ को कितना पानी देना है। इसलिए इजराइल अपनी राष्ट्रीय आवश्कता अपने ही स्रोतों से पूर्ण कर लेता है। लेकिन उसने कभी पशु पालन के धंधे को प्रोत्साहित नही किया। वह जानता है कि उन पशुओं की प्यास बुझाने के लिए उसके पास इतनी बड़ी मात्रा में पानी नही है। खेतों में उगाई जाने वाली फसल को तो फिर भी पानी देना पड़ता है, लेकिन वनस्पति जिनमें फलवाले वृक्ष बड़े हो जाने पर उन्हें पानी नही देना पड़ता, वे स्वयं ही अपनी जड़ों से पानी प्राप्त कर लेते हैं लेकिन एक पशु छोटा हो या बड़ा, उसे पालने ओर बड़ा करने के लिए प्रतिदिन पानी चाहिए। पानी की कमी और अभाव की स्थिति में पेड़ तो उगाए जा सकते हैं लेकिन पशुओं का पालन नही हो सकता। पेड़ों में यह कुदरती बात है कि वे स्वयं भी पानी जमीन से प्राप्त कर लेते हैं और अपने आसपास की जमीन में भी नमी बनाए रखते हैं। वृक्ष वातावरण को ठंडा बनाते हैं और पानी से भरे बादलों को अपनी ओर खींचते हैं, क्योंकि उनमें क्लोरोफिल नामक तत्व होता है, जो हमेशा उन्हें हरा रखने में सहायक होता है।
वनस्पति और पशु दोनों के जीवन में कितना पानी चाहिए, उसके तुलनात्मक आंकड़े चौंका देने वाले हैं। एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने लगातार प्रयोग करके कुछ नतीजे प्राप्त किये हैं। एक पौंड गेंहूं के उत्पादन में 25 गैलर पानी की आवश्यकता होती है। एक पौंड टमाटर के उत्पादन के लिए तेईस गैलन पानी चाहिए। इसी प्रकार एक पौंड आलू को पैदा करने में तेईस गैलन पानी की आवश्यकता होती है। सबसे अधिक पानी चावल को चाहिए।
एक पौंड चावल के लिए 110 गैलन पानी खर्च होता है, जबकि गन्ने को इससे भी अधिक पानी लगता है, जिसकी मात्रा 170 गैलन है। मक्का के लिए 80 और केले के लिए 200 गैलन पानी अनिवार्य है। सबसे कम पानी चने के लिए चाहिए, मात्र 11 गैलन। भारत में तो जिस भूमि में नमी होती है वहां चने की फसल लेने में पानी की आवश्यकता ही नही पड़ती।
कुछ आंकड़े अब पशु जगत के देखिए कि उन्हें बड़ा करने में और साथ ही उनकी आयु के साथ मांस और हाड़ में वृद्घि होते समय कुल कितना पानी खर्च होता है?
क्रमश:

Comment: