soiये हरकतें दर्शाती हैं

आत्मविश्वास में कमी

डॉ. दीपक आचार्य
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व्यक्ति के हाव-भाव और जीवनचर्या से उसके सम्पूर्ण चरित्र, कर्म और व्यवहार की थाह आसानी से पायी जा सकती है। इसके लिए चाहिए थोड़ी सी सूक्ष्म दृष्टि, निरपेक्षता और नीर-क्षीर विवेक बुद्धि।हमारे मन के भीतर उमड़ने-घुमड़ने वाले विचारों से लेकर कल्पनाओं, आशा-आकांक्षाओं, पुराने अनुभवों की स्मृतियों और परिवेशीय स्पंदनों का सीधा प्रभाव हमारे मन-मस्तिष्क और शरीर में संचरित होता हुआ हमारे हर कर्म और लोक व्यवहार में प्रतिभासित होता रहता है।यह प्रभाव चेहरे से लेकर शरीर के अंग-प्रत्यंगों तक की बनावट को अपने हिसाब से रूपान्तरित कर देता है। हर आदमी की बॉड़ी लैंग्वेज से उसके चाल-चलन और मनःस्थिति को अच्छी तरह भाँपा जा सकता है। बॉड़ी लैंग्वेज को जानने-पहचानने वाले लोग किसी भी व्यक्ति को देखकर उसके बारे में कुण्डली तैयार कर लेते हैं, चाहे फिर वह आम आदमी हो या खास।आदमी की कल्पनाओं, महत्त्वाकांक्षाओं, उच्चाकांक्षाओं, कुटिलता, चतुराई, धूत्र्तता से लेकर सभी प्रकार के गुणावगुणों के अनुरूप शारीरिक संरचनाएं और व्यवहार अपने आप ढलते चले जाते हैं। इसी के अनुरूप आदमी की हरकत और हलचल भी आकार लेती रहती है। यही हरकतें धीरे-धीरे अपनी आदतों में शुमार हो जाती हैं और फिर पूरे जीवन भर छायी हुई रहती हैं।अक्सर हम लोगों के हाव-भाव को देखें तो पता चलता है कि अधिकांश लोग किसी न किसी ऎसी आदत से घिरे हुए हैं जो उनके जीवन के लिए नकारात्मक पहलू बनकर उभरी हुई है और आम लोग उनकी इन्हीं हरकतों का कभी उपहास उड़ाते हैं, कभी मौके-बेमौके उनका स्मरण कर मनोरंजन तक कर लिया करते हैं।

अंगुली पर गिनने लायक लोग ही ऎसे होते हैं जो इन आदतों को गंभीरता से नहीं लेते। किसम-किसम के आदमियों के बीच ऎसे-ऎसे लोगों की तरफ सहज ही ध्यान चला जाता है जो न्यूनाधिक रूप में किसी न किसी आदत को पाले हुए हैं अथवा उनकी जिन्दगी में ये आदतें निरन्तर रिपीट होती रहती हैं जिनका उनके लिए कोई औचित्य नहीं हुआ करता।बहुत सारे लोग कुछ-कुछ मिनट के अन्तराल में बार-बार थूँकते रहते हैं, आँखों की पलकें झपकाते, कंधे उछालने, हाथ को विभिन्न दिशाओं में घुमाने, पाँव हिलाते रहने, अपने हाथ से छल्ला घुमाने, पेन, पेपरवेट घुमाने, हर बात पर सामने वाले की स्वीकारोक्ति को प्रमाणित करने के लिए हाथ आगे कर देने, मूँछ के बालों पर हाथ फिराते, बार-बार तकिया कलाम का प्रयोग करने, संबोधित करते हुए पैरों को हिलाने या ऊँचा-नीचा करने, माईक को हाथ से पकड़ रखने, चश्मे को बार-बार उतारने-पहनने, माथे पर हाथ रखकर बैठने, बार-बार दाँत कुरेदने, बाल खिंचने, नाक के बालों को तोड़ते रहने, अभिव्यक्ति के दौरान जबान के अटकने और वाक्यों के उच्चारण में बाधाएं आने, तुतलाहट, सर पर अंगुली रगड़ने आदि की हरकतें करते रहते हैं।ये सभी प्रकार की हलचलें हमारे असामान्य होने के साफ संकेत प्रकटाती हैं और इन सभी से स्पष्ट आभास  हो जाता है कि हमारे भीतर आत्मविश्वास की कमी है।कई लोग वाहन चलाते हुए सीधे नहीं बैठकर टेढ़े-मेढ़े बैठे रहते हैं, कई वाहन चालक खासकर जीपों के चालक अपने आधे से ऊपर अंगों को बाहर की ओर निकाल कर बैठते हुए वाहन चलाते हैं। यह भी इनकी असामान्यता का लक्षण है और माना जाना चाहिए कि इनके जीवन की गतिविधियां भी किसी न किसी प्रकार टेढ़ापन लिए हुए हैं। इस प्रकार की खूब सारी क्रियाएं हैं जो अक्सर लोगों में देखने को मिलती हैं। इन्हें मन से निकालने के लिए दृढ़ आत्मविश्वास का सहारा लिया जाए तो इन्हें दूर करना कोई असंभव कार्य नहीं है।

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