हमेशा रहेंगे बुरे लोग

हमें ही चलना होगा संभलकर

– डॉ. दीपक आचार्य

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       अच्छे और बुरे लोग हर युग में रहते आए हैं। किसी समय कभी अच्छे लोगों की संख्या ज्यादा होती है, कभी बुरे लोगों की। यह अनुपात कम-ज्यादा भले ही हो सकता है पर दोनों ही प्रकार की आत्माओं का अस्तित्व हर युग में रहा है। बुरे लोगों का वजूद किसी युग में पूरी तरह समाप्त ही हो गया हो, ऎसा कभी नहीं हुआ। यहाँ तक की रामराज्य में भी ऎसे लोगों की मौजूदगी रही है। फिर आज तो कलियुग है। युगीन प्रभाव को हर कहीं स्वाभाविक रूप से झलकना ही है।

हमारे पास सभी तरह की शक्तियाँ, तेज-ओज, सामथ्र्य, बौद्धिक और शारीरिक सबलता सब कुछ है इसके बावजूद वर्तमान युग की सबसे बड़ी समस्या वे लोग हैं जो अंधेरों के हमसफर या अनुचर बने हुए हैं तथा जहाँ कोई अच्छा विचार, अच्छी बात या अच्छा काम दिखता है, उसका विरोध करना शुरू कर देते हैं और अच्छे कार्य करने वालों के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं।

इसी का नतीजा है कि समाज और देश के लिए कई सारे अच्छे काम हमारी पूरी क्षमताओं के बावजूद हम नहीं कर पा रहे हैं। यह व्यथा किसी एक महानगर, शहर या कस्बों-गांवों की नहीं है बल्कि सभी जगहों की है जहाँ असत और आसुरी सम्पदा से किसी न किसी प्रकार से प्रभावित लोग मिल ही जाते हैें। कहीं ज्यादा तो कहीं कम। ऎसे लोगों के संख्या बल से कोई फर्क नहीं पड़ता। एकाध भी बुरा आदमी किसी जगह स्थान बना लेगा तो फिर पूरे क्षेत्र में सडांध फैलाएगा चैन से बैठेगा नहीं।

हममें से अधिकांश लोग ऎसे नालायकों और कमीनों से परेशान हैं जो जहाँ-तहाँ पसरे हुए समाज और देश का अहित कर रहे हैं। हममें से काफी लोग अक्सर ऎसे बुरे और विघ्नसंतोषी लोगों के बारे में पूरी गंभीरता से सोचते हुए भगवान से प्रार्थना करते रहते हैं इन लोगों को हमारे यहाँ से उठा ले और इस धरा को इन पापियों के भार से मुक्ति दिला दे।  लेकिन यह हमारा भ्रम ही होता है। हर स्थान पर ऎसे बुरे लोग होते हैं और इनमें से दो-चार ऊपर चले भी जाएँ तो इनकी जगह नए बुरे लोग पनप जाया करते हैं और यह सिलसिला हमेशा बना रहता है।

हमारे भाग्य में ऎसे कमीनों से प्राप्त होने वाली परेशानियां लिखी ही हुआ करती हैं।  कई बार हम इन बुरे लोगों के बारे में भगवान से इनकी गति-मुक्ति जल्दी करने की प्रार्थना करते हैं। कुछ बार भगवान सच्चे मन से की गई प्रार्थना सुन भी लेता है लेकिन इनके नरकगमन के बावजूद हमारी समस्याएँ जस की तस बनी रहती हैं क्योंकि ऎसे लोगों की कमी कभी नहीं होती।

हममें से खूब सारे लोगों का अनुभव ऎसा ही है। पहली बात तो यह है कि बुरे और पापियों का खात्मा जल्दी नहीं होता।  एक मरता है तो दूसरे कई सारे उसकी जगह पा लेते हैं। इन स्थितियों में यह कल्पना कोरा भ्रम ही है कि इन बुरे और विघ्नसंतोषी लोगों का कभी पूरा खात्मा संभव भी है।

हमारे सामने ही ऎसे ढेरों बुरे और नालायक लोग आए और अपनी कारगुजारियां करते हुए ऊपर को सिधार गए, आज कोई उनका नामलेवा नहीं है मगर उनकी बजाय दूसरे नालायकों की मौजूदगी हो चली है। जब भी हमारे सामने ऎसे हालत आएं तब हमें यह मानकर चलना होगा कि हम स्वयं संभलकर चलें और क्योंकि बुरे लोग हमेशा हर जगह बने रहने वाले हैं। इन्हें उपेक्षित या भ्रमित रखकर अपने आपको इनसे बचाते हुए अपना रास्ता तय करने में ही अपना और समाज का भला है।

इन नालायकों के साथ न किसी प्रकार का संबंध बनाएं, न कोई समझौते करें। क्योंकि ऎसे लोगों का सम्पर्क भी बुरा, और सान्निध्य भी। ऎसे लोगों की छाया में भी पाप झरता है, इनके आभामण्डल से भी कालिमा भरा नकारात्मकता का झरना बहता रहता है। इसलिए हमेशा जहाँ तक संभव हो, इनसे दूरी बनाए रखें।

भगवान से भी प्रार्थना करें तो इनकी गति-मुक्ति के लिए नहीं बल्कि सदबुद्धि के लिए करें। ऎसे कितने की नालायक और बुरे लोग आएं और चले जाएँ, हम पर किसी का कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए, तभी जीवन का असली आनंद पाया जा सकता है।

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