आचरण शुद्वि ही ज्ञान की सार्थकता है

आचार्य महाश्रमण
तेरापंथ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि जीवन विकास में ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ज्ञान के द्वारा पुण्यपाप को समझकर कल्याणकारी श्रेष्ठ कार्य ही मनुष्य के लिए अनुकरणीय है। हमें दुलर्भ मानव शरीर मिला है इसका सदुपयोग करें संसार रूपी भवसागर से पार उतरने के लिए हमारा शरीर नाव है। हमारा जीव नाविक है। हमारी यात्रा सकुशल सुरक्षित रहे इसके लिए हमारी नौका निश्ििछद्र होनी चाहिए। अर्थात् हिंसा, लोभ, झूठ, चोरी, हत्या आदि पापकारी प्रवृतियों से दूर रहे और इन प्रवृतियों के प्रेरक नशे से भी परहेज करे।RKB_0683
यह बात आचार्य श्री महाश्रमण जी ने तेरापंथी सभा शाहदरा द्वारा ओसवाल समाज के प्रांगण में शनिवार को आयोजित अभिनंदन समारोह में कही।
उन्होंने कहा कि हमें शुरूआत स्वयं से करनी है। तथा नशामुक्ति अभियान को एक मिशन के रूप में चलाये और समाज से नशे की बुराई को दूर कर दें। बालकों का निर्माण भी बहुत बड़ी बात है। श्रेष्ठ बच्चे परिवार समाज, राष्ट्र व समग्र मानवता के लिए उपयोगी होते है। ज्ञानशालाओं के माध्यम से बच्चों के निर्माण में श्रम लगाने वाले कार्यकर्ता, प्रशिक्षक एवं सभी जन साधुवाद के पात्र हैं।
इस अवसर पर श्वेताम्बर तेरापंथी सभा दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष श्री गोविन्द्र बाफना, शाहदरा समाज के अध्यक्ष श्री भानु प्रकाश बरड़िया, ओसवाल समाज अध्यक्ष श्री आनन्द बुच्चा, तेयुप अध्यक्ष श्री मनोज नाहर महिला मंडल अध्यखा श्रीमती तारा बैंगानी, विजय राज सुराना ओसवाल यूथ क्लब अध्यक्ष श्री मनीष बेद आरडब्लूए अध्यक्ष श्री के.बी. शर्मा, डिप्टीमेयर श्री महेन्द्र आहूजानगर सेविका बहन प्रति एवं श्री बाबूलाल दूगड़ आदि ने अभिनंदन के स्वरों को अभिव्यक्ति दी।
समारोह में तेरापंथ युवक परिषद्, महिला मंडल एवं ज्ञानशाला की सामुहिक प्रस्तुतियां आकर्षक थी। विवेक विहार के विधायक श्री जितेन्द्र सिंह शन्टी ने स्वागत के स्वरों में कहा कि आचार्य महाश्रमण तेरापंथ या जैन धर्म को नहीं बल्कि हर धर्म हर मजहब के लोगों को मार्ग दर्शन देने दिल्ली आये हैं। सूर्य की प्रखर किरणे आपके पुरूषार्थ को, आपके मानव कल्याणकारी कार्यो को और अधिक तेजस्विता प्रदान कर रही है। आपके माध्यम से दिल्ली और अच्छी बने ऎसी हम कामना करते हैं। कार्यक्रम का कुशल संचालन सुभाष सेठिया ने किया।
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फोटो कैप्शनः- तेरापंथ समाज के ग्याहरवें आचार्य श्री महाश्रमण नई दिल्ली में आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए।

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