अब ये हिंदुस्तान नहीं

 

संसद में नारेबाजी, हंगामा शोर-शराबा है।
और देश में होता रहता निशदिन खून-खराबा है।।

अपने देश के नेता भैया, करते रहते ताता थैया।
उनको प्यारी है बस कुर्सी, चाहे रोए भारत मैया।।

कैसी गंदी राजनीति ये, जिसकी अजब कहानी है।।
कोई मुद्दा मिले उसी पर, होती खींता-तानी है।।

देश में भ्रष्ट तंत्र हावी है,नाम की हैं सरकार यहाँ।
कथनी-करनी भिन्न सभी की लूट का कारोबार यहाँ।।

खून-खराबा नहीं चाहिए, शोर-शराबा नहीं चाहिए।
इंसां को इंसां से बाँटे, ऐसा नारा चाहिए।।

कैसे हुआ स्वतंत्र देश ये, नेताओं को ज्ञान नहीं।
शायद गाँधी-भगत बोस का, अब ये हिन्दुस्तान नहीं।।

संसद में नारेबाजी, हंगामा शोर-शराबा है।
और देश में होता रहता निशदिन खून-खराबा है।।

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