सुनो हिन्दू: राष्ट्र का क्रन्दन

लोकतन्त्र प्रणाली में जनता के वोटों की संख्या के आधार पर सरकार का गठन किया जाता है। जिससे वोट एक शक्तिशाली हथियार बन गया है। इस वोट रूपी हथियार का मुस्लिम समाज भरपूर उपयोग करके अधिक से अधिक लाभ उठाने का सतत् प्रयास करता आ रहा है। अनेकों जातिगत मतभेद होने के उपरान्त भी मुस्लिम समाज अपनी वोटों को बटने ना देकर एकजुट शक्ति का प्रदर्शन करता है। जिससे लगभग समस्त राजनैतिक दल उनकी ओर आकर्षित होकर उनको ही खुश रखने के लिए देश व प्रदेश की भावी योजनाएं बनाते है।
देश का इस्लामीकरण हो इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर मुस्लिम समाज झूठी धर्मनिरेपक्षता का सहारा लेकर संगठित वोटों की शक्ति को लगातार बढ़ाकर लोकतान्त्रिक व्यवस्था का पूरा-पूरा लाभ उठा रहा है।
विश्व को वसुधैव कुटम्बकम्ब, बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय व सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश देने वाला हिन्दू समाज आज अपने ही देश में राजनैतिक दलों की मुस्लिम पोषण नीतियों के कारण लगातार ठगा जा रहा है। उसको कभी मानवता का पाठ पढ़ाकर तो कभी धर्मनिरपेक्षता का वास्ता देकर तो कभी साझा संस्कृति के दर्शन कराकर लगातार धोखे में रखकर उसे अपने राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्य से दूर किया जा रहा है। वोट के भूखे राजनेताओं ने विराट हिन्दू समाज को अनेक जातियों व वर्ग में बांट कर इतना कमजोर कर दिया है कि आज वह इतना दीन-हीन, ऊर्जा हीन होकर अपने ही राष्ट्र की असीम समस्याओं के बोझ तले पिसता जा रहा है और इसी स्थिति में जीने को विवश है।
क्या राम और कृष्ण के देश में उसके भूमिपुत्रों की यह दयनीय दशा ऐसी ही बनी रहेगी? क्या किसी भगवत कृपा या किसी अवतार के अवतरित होने की प्रतिक्षा में ही बहुसंख्यक हिन्दू यों ही सोता रहेगा? मत भूलों की वीर शिवाजी का जन्म भी भयंकर विपरीत परिस्थतियों में हुआ था। उन्होंने भी हिन्दू जनता का स्वाभिमान जगाकर राष्ट्र की रक्षा व विकास किया था। आप भी जिस प्रकार अपने घर-परिवार के मोह में रहकर सारा जीवन जीते हो क्या उसमें से थोड़ा भी अपनी मातृभूमि जो तुम्हें सबकुछ देती है को देने की सोचोगे तो बहुत कुछ मिल जायेगा। अभी भी समय है राष्ट्र की इज्जत तार-तार हो रही है उसको देखो और राष्ट्र का करुण क्रन्दन भी सुनो और आगे बढ़कर हिन्दू समाज को संगठित करके धर्म व राष्ट्र को खडा करो।

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