सलमान की सजा इतनी कम क्यों ?

सिने अभिनेता सलमान खान को पांच साल की सजा क्या मिली, मानो भारत का सिनेमा जगत दुःख के सागर में डूब गया। उसने यह नहीं सोचा कि सलमान ने शराब के नशे में जिस एक आदमी की हत्या की और चार आदमियों को जीवन भर के लिए अपंग कर दिया, उनके परिवारों पर क्या बीत रही होगी । वे पाँचों गरीब मुसलमान परिवार दाने-दाने को मोहताज़ हो गए हैं।   यह ठीक है कि सलमान ने यह संगीन जुर्म जान-बूझकर नहीं किया लेकिन उसने शराब तो जान-बूझकर पी थी और शराब पीकर वह जानते- बूझते मुंबई की सड़कों पर अपनी कार दौड़ा रहा था। उसके पास लाइसेंस भी नहीं था ।  अदालत को सलाम कि वह किसी भी दबाव में नहीं आई और उसने सलमान को जेल कर दी लेकिन इस छोटे-से और साफ़-साफ़ मामले में उसने साढ़े १२ साल लगा दिए, यह कौन सा न्याय है ? इस मुक़दमे के दौरान जो सबसे जानदार गवाह था, सलमान का अंगरक्षक और पुलिस का जवान रवीन्द्र पाटील, वह भी संदेहजनक स्थिति में मर गया और सबसे बड़ी बात यह है कि मुक़दमे के आखरी दौर में सलमान को बचाने के लिए उसके गरीब ड्राईवर को हत्यारे की जगह खड़ा कर दिया गया। दर्जनों गवाहों की फाइलों को भी गायब करवा दिया गया । इसके बावजूद अदालत ने १० साल की सजा को ५ साल घटा दिया। फिर भी सलमान-प्रेमी लोग जिस तरह छाती कूट रहे हैं, वह आश्चर्यजनक है। वास्तव में सलमान को २० साल की सजा होनी चाहिए थी। १० साल हत्या के लिए और १० साल सारे मामले को रफा-दफा करने के लिए। अदालत की आखों में धूल झोंकने के लिए।  अदालत फिर भी दयालु है। उसने तुरंत जमानत भी दे दी।

  सलमान पर अभी चार मुकदमें अलग से चल रहे हैं। अपराध करना उसकी वृत्ति है।   वह अभिनय जितना अच्छा करता है, जीवन उतना ही बुरा जीता है। बुरे जीवन को अच्छे अभिनय से ढका नहीं जा सकता।  अभिनय तो अभिनय होता है । वह नकली है । जीवन असली है । जो नकली को असली से ज्यादा महत्व देते हैं, वे लोग सतही हैं। करोड़ों हैं, ऐसे लोग ! उनकी राय उथली होती है। उसका कोई महत्व नहीं, कानून और नैतिक दृष्टि से । ऐसे ही सतही लोगों ने कह दिया कि फुटपाथ पर सोने वाले कुत्ते हैं । उन कुत्तों को सरकारें घर क्यों नहीं देती ? ऐसा नीचता पूर्ण बयान देनेवालों को शायद ये पता नहीं कि उनके बारे में लोग क्या सोचते हैं । वे सलमान के दोस्त नहीं, दुश्मन हैं । सलमान का मान जितना ज्यादा है, उसकी सजा भी उतनी ही ज्यादा होनी चाहिए तभी देश के संपन्न और ताकतवर लोगों की हड्डियों में कंपकंपी दौड़ेगी और वे अपनी कारों से सड़कों पर गरीब लोगों को रौंदने से बाज़ आएँगे।

Comment: