यह जीवन है अबुझ पहेली
हँस-हँस कर सुलझाना ।
भटक चुके हैं कई बटोही
तुम भी भटक न जाना ।।

पीड़ा की क्रीड़ा को समझो
तभी समझ में आएगा ।
बिन समझे जो कदम बढ़ाया
वह निश्चय पछतायेगा।।
बिन सोचे समझे प्रियवर मत
तम में तीर चलाना । यह जीवन है————-

जग का हर व्यवहार निरर्थक
यदि जीवन में सार नहीं ।
जीवन तुला व्यथित हो जाती
यदि उस पर कुछ भार नहीं ।।
कभी-कभी मुश्किल हो जाता
खुद का भार उठाना । यह जीवन है—————

छाती पर बाती रखकर क्या?
तिमिर हटाया जाता है ।
तुम्हीं बताओ बिन सरगम के
कैसे गाया जाता है ।।
जलो ज्वलन ही जीवन होता
तिल-तिल कर जल जाना । यह जीवन—————

तपी हुई सांसों में हरदम
सच्चा जीवन होता है ।
तो तपने से बिदक गया वह
हँस-हँस कर भी रोता है ।।
पीड़ा में पूरा जग जन्मा
पीड़ा में मर जाना । यह जीवन है—————-

निरवधि निरूपम इस जीवन में
लाचारी का काम नहीं ।
स्वाभिमान को बेंच जिया जो
उसका कोई दाम नहीं ।।
उम्र मौत की सदा जिंदगी
यह सबको समझाना । यह जीवन है——————

अनिल कुमार पाण्डेय
संस्थापक-तुलसी मानस साहित्यिक संस्थान
जे-701 आवास विकास केशवपुरम, कल्याणपुर
कानपुर (उ .प्र) शब्ददूत -9198557973

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