त्रिलोकपुरी दंगों मे पुलिस ने बच्चो पर दागी गोलियां

     अखण्ड भारत मोर्चा के अध्यक्ष श्री संदीप आहूजा ने खेद व्यक्त करते हुऐ कहा कि त्रिलोकपुरी के दंगों मे दिल्ली पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है। चूंकी स्थानीय पुलिस वहां के अवैध मांस व्यापारीयों एवं सरकारी जमीन पर कब्जा करके कबाड़ का काम करने वालों से मिली हुई है। माता की चैंकी पर जिन महजबी उन्मादी लोगो ने हमला किया था उन्हे शीघ्र गिरिफ्तार नही किया गया क्योकि वे इसी व्यवसाय से जुड़े थे ओर स्थानीय पुलिस से मिली-भगत थी जब बात बढ गई छोटे से झगड़े ने महजबी उन्माद का रुप ले लिया तब पुलिस की नींद खुली। श्री आहूजा का कहना हे कि वर्ग विशेष के लोगो ने बाहर से असमाजिक तत्वों (हिस्टरी शिटरों) को बुलाया जिन्होने अवैध हत्थियारों से दूसरे धर्म के लोगों पर हमले किये। पुलिस मुस्लिम बहुल क्षेत्र मे जाने से बचती रही लोग छतों से गोलीयां बरसाते रहे ओर हालत बद से बदतर हो गये। बजाय असमाजिक तत्वों को पकड़ने पुलिस ने गलीयों मे अन्धाधुन्ध गोलीयां चलानी शुरु कर दी जिससे कई बच्चे घायल हो गये एक अर्जुन नाम के चैहदा वर्षीय बालक की तो सर मे गोली लगने से मौत हो चुकी है। बीस वर्षीय प्रवीण कुमार के पांव मे गोली लगने से एक पांव खराब हो चुका है, चैहदा वर्षीय अजीत के पेट से गोली आर-पार हो गई।

    श्री आहूजा ने गृहमंत्री श्री राजनाथ को पत्र लिखकर पूछा है कि असम-पश्चमी बंगाल के बार्डर पर बगंलादेशीयों को रोकने के लिए तो फौजियों के हाथ मे रबड़ की गोली दी हुई एवं कश्मीर के पत्थरबाजों व आतंकवादीयों से निपटने के लिए गुलेले थमा रखी है परन्तु शहर-गाँव मे होने वाले दंगों से निपटने के लिए पुलिस असली गोली का प्रयोग कर रही है क्या यहां पर रबड़ की गोली का इस्तेमाल नही हो सकता था ?

   श्री आहूजा ने माँग है कि उक्त दंगों की न्यायिक जाँच की जाये ओर दोषी पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाये।

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