गौ संवर्धन के उपाय गौवंश संवर्धन व गाय की रक्षार्थ निम्न कार्य किये जा सकते हैं :- 1. गाय की महत्ता का प्रचार जिसमें यह भी आवें कि आने वाले परमाणु युद्घ में भी यदि गाय गोबर से आलिप्त निवास है तो उसकी किरणों का प्रभाव नही के बराबर होगा आदि। 2. मुसलमान तथा गैर हिंदुओं के साथ हिंदुओं में प्रेम पैदा करना। मुसलमान विद्वानों के गौ-रक्षा के संबंध में लिखे लेखों-विचारों को उर्दू-हिंदी में छपवाकर सहृदय मुसलमान सज्जनों द्वारा उनकी बिरादरी में बंटवाना तथा उर्दू अखबार तथा मुस्लिम अखबारों में गौ रक्षा पर प्रभावी लेख प्रकाशित करना। 3. पुस्तक, ट्रैक्ट स्लाईड्स और कीर्तन तथा उपदेश द्वारा गौ पालन शिक्षा और गौ विज्ञान जिसमें दूध, मक्खन घी से लगाकर खाद, दवाईयों का कल्याण कार महत्व समझाना। 4. गौ वध रोकने तथा गौ संवर्धन हेतु राज्य सरकारों, केन्द्रीय सरकार, यूएनओ (विश्व संस्था हेतु) तथा एनजीओ द्वारा इस संबंध में आवश्यक आदेश व निर्देश जनता को प्राप्त होते रहे इस हेतु आवेदन प्रतिवेदन नियमित रूप से निश्चित दिवसों पर भेजते रहना। 5. सांसद तथा विधान सभा सदस्य से गौ संवर्धन तथा गौरक्षा प्रयत्न करना करवाना ताकि वे महत्व समझकर अनुयायिों को वास्तविकता समझा सके। 6. गौशालाओं, पांजरा पोलों की व्यवस्था सुद्रढ़ हो तथा केवल आयकर बचाने व धम्र का चोला ओढकर दान प्राप्त करना या दान देना वृत्ति पर रोक लगे, पूर्ण जानकारी देकर अधिक सार्थक कार्य करना करवाना। गौशालाएं केवल गायों को जो उनके पास है, चारा ही न डाले अपितु उस गांव शहर क्षेत्र में गाय बीमार हो, भटकती हो उनकी भी आश्रा दे, संभाले ऐसी व्यवस्था का प्रयास भी यथा संभव करें, इस हेतु जन जागरण भी हो जिससे आम जनता भी अपना कत्र्तव्य समझकर पशु चिकित्सालय अथवा मनुष्य के एंबूलेंस की तरह पशुओं विशेष कर गौ वंशीय पशुओं का उपचार भी वाहन साधन से करा सकें, करवाने में सहयोग कर सकें। 7. गाय का मूल्य बढ़ाना यानि गौ पालन से अत्यधिक लाभ है उसे जन जागरण द्वारा प्रचारित करना, किसानों को समझाना। 8. जनता मरी हुई गाय के चमड़े का उपयोग न करे। 9. कसाईयों को भी समझाना, उन्हें आर्थिक हानि पहुंचाना हमारा उद्देश्य नही। 10. उपखण्ड तथा तहसील पंचायती समिति स्तर तक गौसेवा संघ सरकारी देखरेख में खेलना व स्थानीय नागरिकों की समिति द्वारा संचालन। 11. चारागाह पर्वतों तथा पड़त भूमि जो गोचर तथा ओरण ही कहलाती है उस पर से अवैध कब्जे हटाकर केवल इन गौवंश तथा पशु पक्षियों के आहार बिहार हेतु सरकारी प्रभाव से खाली रखना जो पर्यावरण् कानून से भी आवश्यक है। ऐसे नियम भी हैं, उनका शक्ति से पालन न्यायालय द्वारा जागरूक संस्था तथा व्यक्ति करावें। 12. जहां कानून की पालना न होती है (गौ संबंधन कानून तथा गो हत्या बंदी कानून काउं स्लाटर हाउस बंद करना आदि) वहां भारत रक्षा कानून तथा प्रांतीय ऐसे ही नागरिक निरोधक कानून को प्रभाव में लाकर अपराधियों को रेाका जावे। 13. गौवध का एक कारण उसके चमड़े, मांस, चर्बी, खून हड्डी की देश विदेश में मांग। बछड़े की खाल के बूट पहनना, घड़ी के फीते आदि बनाना, पर्स बटुआ बनाना, इसको लोगों में जाग्रति पैदा कर रोका जा सकता है तथा कानून भी सख्त बनाया जा सकता है। 14. गाय के दूध व दूध उत्पादों के लाभ जो वैज्ञानिकों ने प्रायोगशालाओं से परीक्षित कर बताये हैं वे प्रचारित करना। 15. देश की भौगोलिक, आर्थिक व्यवस्था में भविष्य में जब तेल ऑयल डीजल, पेट्रोल के कुएं जला दिये जावेंगे या समाप्त हो जावेंगे, उस स्थिति को ध्यान में रखते हुए गौ संवर्धन अत्यंत आवश्यक है। यह विषय सर्वत्र जानकारी में लाना जो किसी भी समाज तथा सरकारी हेतु लाभदायक एवं आवश्यक है। 16. महान पुरूर्षो, संतों के गौ संबंर्धन पर विचार वितरित करना। 17. यद्वपि यह विश्वास की ही बात समझें निस्वार्थ गौ सेवा से मोक्ष प्राप्ति भी होती है ऐसा विश्वास जगाना। यम यातना से मुक्ति, प्रेय और श्रेय तो तुरंत मिलता है यह समझाना। 18. पंडित मदन मोहन मालवीय जी जिन्होंने बनारस हिंदू विश्व विद्यालय की स्थाना की तथा राष्टï्र के महान नेता थे। ने सुझाव दिया था कि यदि हम गौ की रक्षा करेंगे तो गाय भी हमारी रक्षा करेगी, इसलिए गांव की आवश्यकता अनुसार घर में तथा घरों के प्रत्येक समूह में एक गौ शाला होनी चाहिए दूध गरीब अमीर सबाके मिलना चाहिए। गृहस्थों को यानि गांव में पर्याप्त गोचर मिली मिलनी चाहिए। गायों की बिक्री के लिए मेलों में भेजना कानूनन बंद होना चाहिए क्योंकि इससे कसाई जैसे गाय काटने वाले अपराधियों को गाय खरीदने में सुविधा होती है। 19. संत विनोबाजी ने भी ऐसा ही कहा था। हिंदुस्तान किसानों का देश है खेती का शोध भी यही हुआ है हिंदुस्तानी सभ्यता का नाम ही गौ सेवा है। आज गाय की हालत यहां उनक देशों से कहीं अधिक खराब है जिन्होंने कभी भी गौ सेवा का नाम नही लिया था हमने नाम तो लिया परंतु काम नही किया। जो हुआ सो हुआ, अब तो चेते। 20. 22 जनवरी 1956 को कलकत्ता के राष्टï्रीय नेता राजर्षि पुरूषोत्तमदास टंडन ने शास्त्र पुराण का हवाला, देकर कहा था कि गौ यद्यपि पशु है फिर भी लोगों से गाय का संबंध् मां बेटे का है। आज हिंदुस्तानी अपनी जड़ पर ही कुठाराघात करने पर आमादा है जो नेता विदेशों के उदाहरण देकर हमको समझाना चाहते हैं वे अपनी जाति और देश के मर्मस्थल पर चोट पहुंचा रहे हैं। कोई भी तर्क तथा उदाहरण हमें मातृ भूमि से विलग नही कर सकता। उन्होंने महात्मा गांधी के वाक्यों को दोहराते हुए कहा था कि प्रत्येक भारतीय इस बात का समर्थन करता है कि गौ वध मनुष्य वध के समान है। गौ बछड़े के चमड़े से डॉलर कमाने की चेष्ठा के व्यापारी नीति की भत्र्सना की जानी चाहिए। विदेशियों को गौ मांस देना व परोसना कभी भी आवश्यक नही हो सकता। अन्य देशों के लिए सोना चांदी बहुत मूल्यवान हो सकते हैं परंतु भारत में तो गौ ही प्रधान धन है। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने पति व पुत्रों को चमड़े के बेग, बिस्तर बंद, बक्से तथा जुतीओं का पहनना छुड़वा दे। 21. गौ पालक स्वावलंबी तथा गाय रखने में आर्थिक हानि न हो ऐसा समझ सके। गाय के दूध के साथ गोबर मुत्र का पूरा मूल्य प्राप्त कर सके ऐसी डेयरी (दुग्ध शाला) व्यवस्था प्रारंभ करने हेतु सहयोग करना करवाना। 22. अंत में अन्य वे सभी प्रयत्न किये जाने चाहिए जिसमें भगवान से प्रार्थना भी एक है। बंधुओ यह भूल जाना कि मुसलमान ईसाईयों को ही समझना समझाना है कि वे गौ कसी न करें अपितु खासकर हिंदुओं को आचरण में गौ रक्षा करनी है, गौ संवर्धन करना है, प्रचार प्रसार व्यवहार देखकर अन्य धर्मावलंबी स्वयं सीख भी लेंगे।

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